शाही पेशवाई|हरिद्वार, 6 मार्च; हरिद्वार में महाकुंभ का आगाज़ हो चुका है. कुंभ में आस्था के प्रतीक और आकर्षण का मुख्य केंद्र पेशवाई होता है. जूना और अग्नि अखाड़े ने गुरुवार को शाही अंदाज में पेशवाई निकाली.
ये पेशवाई पाण्डेवाला ज्वालापुर स्थित गुघाल मंदिर परिसर से शुरू हुई. पेशवाई में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज समेत विभिन्न महामंडलेश्वर आकर्षक ढंग से सजे हुए रथों पर सवार नजर आए.
इस पेशवाई में सबसे आगे हाथी, फिर ऊंट और उसके बाद नागा साधु इष्ट देव की पालकी थी. आचार्य महामंडलेश्वर और अन्य महामंडलेश्वरो के रथों को फूलों से आकर्षक से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. सभी रथों में चांदी के सिंहासन पर आचार्य महामंडलेश्वर और महामंडलेश्वर विराजमान थे.
यह भी पढ़ें-हरिद्वार महाकुंभ 2021: कुंभ में निकली पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की भव्य पेशवाई
शाही पेशवाई| बड़ी संख्या में नागा साधुओं ने पेशवाई में भगवान शंकर का तांडव, करतब, बल और विभिन्न योग क्रिया दिखाई. पेशवाई में गढ़वाल और कुमायूं से आए लोक कलाकारों ने भी प्रस्तुति दी.
हेलीकॉप्टर से फूलों बरसाने से चार चांद लग गए थे. पेशवाई में बड़ी संख्या में नागा साधुयों के साथ संत भी पैदल चल रहे थे. जूना और अग्नि अखाड़े की पेशवाई में सबसे बड़ा आकर्षण किन्नर अखाड़ा रहा.
शाही पेशवाई| पहली बार किन्नर अखाड़ा किसी पेशवाई में शामिल हुआ. इस अखाड़े के गहनों से लदे और आकर्षक ढंग से सजे सदस्य सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे.
यह भी पढ़ें-Kumbh 2021 : पंचायती निरंजनी अखाड़ा को मिला नया आचार्य महामण्डलेश्वर
पेशवाई किसी भी अखाड़े के लिए विशेष महत्व रखती है जिसमें अखाड़ा अपनी धनबल और जन बल और समृद्धि आदि का प्रदर्शन करता है.
पेशवाई ने गुघाल मंदिर परिसर से शुरू होकर शहर भर का भ्रमण करते हुए शंकर आश्रम होते हुए कनखल हरिद्वार शिवमूर्ति चौक, लालताराव पुल, होते हुए अखाड़े की प्रवेश किया.
आपको बता दें कि अखाड़ा परिषद किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं देता है इसलिए ही किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े के साथ ही स्नान करने का समझौता किया है.
यह भी पढ़ें-हरिद्वार महाकुंभ: आखिर क्या है जूना अखाड़ा, कैसे होता है रमता पंचों का चुनाव
[video_ads]
[video_ads2]
You can send your stories/happenings here:info@religionworld.in