कैला देवी मंदिर का इतिहास
कैला देवी मंदिर का निर्माण लगभग 1100-1200 ईस्वी में किया गया था। मंदिर के इतिहास के अनुसार, राजा भोजपाल ने माँ कैला देवी के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए इस मंदिर की स्थापना की। यह मंदिर उस समय से ही शक्ति की देवी के प्रति समर्पित है और यहाँ भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माता के दर्शन करने आते हैं।
माँ कैला देवी की मूर्ति और मंदिर की विशेषता
मंदिर में माँ कैला देवी की संगमरमर की मूर्ति स्थापित है, जिसमें माँ को दोनों हाथों में त्रिशूल धारण करते हुए और शेर पर सवार दिखाया गया है। उनके साथ देवी चामुंडा और लक्ष्मी की भी मूर्तियाँ स्थित हैं।
मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली में निर्मित है और सफेद संगमरमर और लाल पत्थरों से सजाया गया है। यहाँ स्थित दीपक वर्षों से लगातार जल रहा है, जिसे माता की चिरंतन कृपा का प्रतीक माना जाता है।
कैला देवी मेले की महिमा (चैत्र नवरात्रि मेला)
हर वर्ष चैत्र नवरात्रि के दौरान यहाँ भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इसे “कैला देवी का लक्खी मेला” कहा जाता है। लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते हैं।
लांगुरिया भजन इस मेले की एक विशेषता है। भक्तजन समूह में माता की स्तुति करते हुए लांगुरिया गीत गाते हैं।
पदयात्रा की परंपरा
कैला देवी मेले में एक विशेष परंपरा यह है कि कई भक्तजन अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुँचते हैं। कुछ भक्त जमीन पर लेट-लेटकर मंदिर तक पहुँचते हैं, जिसे “दंडवत यात्रा” कहा जाता है।
कैला देवी मंदिर के चमत्कार और आस्था
माना जाता है कि माँ कैला देवी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। जो भक्त सच्चे हृदय से माँ की अराधना करते हैं, उन्हें सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
यहाँ जलने वाले अखंड दीपक को अत्यंत चमत्कारी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह दीपक माता की अनंत कृपा का प्रतीक है और कई वर्षों से लगातार जल रहा है।
कैला देवी मंदिर के प्रमुख अनुष्ठान और पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि: यह नवरात्रि का सबसे प्रमुख पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है।
लांगुरिया भजन: इस दौरान भक्तजन लांगुरिया गीत गाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
दंडवत यात्रा: कुछ भक्त दंडवत प्रणाम करते हुए मंदिर की ओर बढ़ते हैं।
विशेष आरती: प्रतिदिन सुबह और शाम को भव्य आरती का आयोजन किया जाता है।
कैसे पहुँचें कैला देवी मंदिर
कैला देवी मंदिर, करौली से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन गंगापुर सिटी है।
सड़क मार्ग: राजस्थान के प्रमुख शहरों से यहाँ के लिए बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है, जो लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर है।
मंदिर परिसर में सुविधाएँ
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई व्यवस्थाएँ की हैं, जैसे:
भक्त निवास: ठहरने के लिए धर्मशालाएँ और अतिथिगृह।
भंडारा: श्रद्धालुओं को प्रसाद और भोजन की व्यवस्था।
चिकित्सा सेवाएँ: आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
कैला देवी मंदिर से जुड़ी मान्यताएँ
अखंड दीपक: मंदिर में जलता हुआ अखंड दीपक माता की कृपा का प्रतीक है।
मनोकामना पूर्ति: कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहाँ माँ से प्रार्थना करते हैं, उनकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
लांगुरिया गीत: यह गीत भक्तों की माँ के प्रति श्रद्धा को प्रकट करता है और मेले के दौरान पूरे क्षेत्र में गूँजता है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो