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पूजा अनुष्ठान में ही नहीं दैनिक जीवन में भी उपयोगी है कपूर

हिंदू धर्म में पूजा में यदि कपूर को शामिल न किया जाए, तो पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके प्रयोग से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो दूर होती ही है, यह सेहत के लिए भी लाभकारी औषधि है।

कपूर हमारे जीवन में कई तरह से लाभ पहुंचाता है। पूजन-पद्धतियों में कपूर का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कपूर स्वास्थ्य उपयोगों में तो फायदेमंद है ही, इसी के साथ-साथ कई ज्योतिषीय उपयोगों में भी कारगर है। कपूर के प्रयोग पूजा के अलावा कुछ अन्य कारगर और चमत्कारिक उपाय में भी किया जाता है। जो आपकी धन समृद्धि जैसी समस्या को दूर कर सकता है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि कपूर का इस्तेमाल हमेशा घर में पूजा पाठ और अन्य काम के लिए लोग करते हैं। इसके साथ हीं कपूर का इस्तेमाल उसके औषधीय गुण की वजह से दवाईयों के तौर पर भी किया जाता है। कपूर के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि इसके इस्तेमाल से अचानक धन लाभ भी होता है। वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र में भी कपूर के महत्व और उपयोग के बारे में बताया गया है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, ऐसी ही कुछ विधाएं हैं जिनके प्रयोग से हम जीवन में आ रहे संकटों के रुख मोड़ सकते हैं। तकलीफ होने पर लोग इन शास्त्रीय उपायों का प्रयोग करते हैं, लेकिन पहले भी यदि ये उपाय किए जाएं तो परेशानी का मुख नहीं देखना पड़ेगा।

ण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफ़ूर और अंग्रेजी में कैंफ़र कहते हैं। कपूर एक उत्तम वातहर, दीपक और पूतिहर है। त्वचा और फुफ्फुस के द्वारा उत्सर्जित होने के कारण, यह स्वेदजनक और कफघ्न होता है। न्यूनाधिक मात्रा में इसकी क्रिया भिन्न-भिन्न होती है। साधारण औषधीय मात्रा में, इससे प्रारंभ में सर्वाधिक उत्तेजन, विशेषत: हृदय, श्वसन तथा मस्तिष्क, में होता है। इसके बाद उसके अवसादन, वेदनास्थापन और संकोच-विकास-प्रतिबंधक गुण देखने में आते हैं। अधिक मात्रा में यह दाहजनक और मादक विष हो जाता है। कपूर के पेड़ की छाल से प्राप्त होने वाला कपूर प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक रासायनिक यौगिक है। अपनी महक के लिए लोकप्रिय टरपीन (पौधों में विस्‍तृत रूप से पाए जाने वाला तत्‍व) से कपूर की गोलियां तैयार की जाती हैं।

प्रकृति में, ये टरपीन पौधों की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग होते हैं। टरपीन को खाया नहीं जा सकता है लेकिन इसके इस्‍तेमाल से कई तरह के फायदे मिलते हैं। पारंपरिक और पश्चिमी औषधि प्रणाली में कपूर को औषधीय और स्वास्थ्यप्रद गुणों के लिए जाना जाता है। कफ जमने, दर्द और सूजन जैसी कई समस्‍याओं से राहत पाने में कपूर मदद करता है। यहां तक कि कुछ अध्‍ययनों में भी ये बात कही गई है कि त्‍वचा के जलने और फंगल इंफेक्‍शन को ठीक करने में कपूर असरकारी है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार कपूर की उत्‍पत्ति भारत, चीन और जापान में हुई थी। इसकी अधिकतर खेती विश्‍व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। इसे ‘ग्लोबल इनवेसिव स्पीशीज डेटाबेस’ में एक विषैले पौधे के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। कपूर एक सदाबहार पेड़ है जो 60 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है। इसका पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है। भारत में पाए जाने वाले कपूर के वृक्ष छोटे होते हैं और इनकी पत्तियां ढाई से 4 ईंच लंबी होती हैं। इसके छोटे सफेद फूल होते हैं और इसका गोल आकार का फल जामुनी से काले रंग का होता है।

कपूर दो तरह के होते हैं-
प्राकृतिक व कृत्रिम।
प्राकृतिक कपूर (भीमसेनी कपूर) को पेड़ से निकाला जाता है, जिसे हम खा भी सकते हैं। जबकि केमिकल्स से बना हुआ कृत्रिम कपूर हीलिंग प्रॉपर्टीज़ से भरपूर होता है और इसी काम में लाया जाता है। कपूर ख़ुशबूदार व ज्वलनशील है, इसलिए पूजा-हवन के दौरान वातावरण की शुद्धता के लिए इसका उपयोग करते हैं। कपूर सिर्फ एक वृक्ष ही नहीं है बल्कि इसका तेल और रासायनिक यौगिक भी है। रासायनिक यौगिक होने के कारण इसे लैवेंडर, कपूर तुलसी और रोजमेरी जैसे पौधों के सुगंधित तेल से भी लिया जा सकता है।

कपूर के कई चिकित्सीय लाभ भी हैं, इसी कारण आयुर्वेदिक उपचारों में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसके साथ कपूर के और भी फायदे हैं। आइए हम आपको कपूर के चमत्कारिक टोटके, कपूर के ज्योतिषीय और वास्तु से जुड़े लाभ बताते हैं।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि हमारे वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र में भी कपूर के महत्व और उपयोग के बारे में बताया गया है। कर्पूर के कई औषधीय प्रयोग बताए गए हैं।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताएंगे कि कर्पूर या कपूर से आप कैसे संकट मुक्ति होकर मालामाल बन सकते हैं और कैसे आप अपने ग्रह और घर को भी बाधा मुक्त रख सकते हैं। वास्तु और ज्योतिष में कपूर आपके बिगड़े हुए कामों, पैसों की कमी और वास्तुदोष को भी ठीक करता है। दुनिया समस्याओं से पहले से ही घिरी हुई थी और आज भी एैसा ही है। इसलिए प्राचीन ग्रंथों में इंसान की समस्याओं का निवारण करने के लिए मुनियों ने अनके उपाय बताए जिससे मानव का भला हो सके।

पूजा या हवन करते समय जब हम कपूर जलाते हैं, तो उससे निकलने वाला धुआं आसपास की नकारत्मक ऊर्जा को समाप्त करता है। यह कपूर हमारे आसपास हवा में मौजूद दूषित कणों को भी समाप्त कर देता है।

कपूर के ज्योतिषीय उपाय 

धनवान बनने के लिए कपूर के उपाय

यदि आपके पास धन की कमी हो या धन की समस्या से झूझ रहे हों। तो आप रात के समय में चांदी की कटोरी में कपूर और लौंग को जलाएं। इस टोटके को कुछ दिनों तक रोज करें। यह उपाय आपको धन से मालामाल कर देगा। पैसों की कमी भी नहीं रहेगी। अगर, चाँदी की कटोरी में संभव न हो, तो किसी दूसरे बर्तन में जलाने से भी लाभ होगा।

यह करें कपूर का उपाय किस्मत चमकाने के लिए :

जब हजार कोशिशों के बाद भी काम नहीं बनते हैं, तो एैसे में कपूर आपकी किस्मत के ताले को खोल सकता है। शनिवार के दिन, कपूर के तेल की बूंदों को पानी में डालें और फिर इस पानी से स्नान करें। इससे दिनभर तरोताजा रहेंगे साथ ही आपका भाग्य भी जाग्रत होगा। यदि इसमें चमेली के तेल की कुछ बूंदें डाल लेंगे तो आपको राहु-केतु और शनि का दोष भी नहीं रहेगा। इस प्रयोग को केवल शनिवार ही करना चाहिए. यह टोटका आपकी बंद किस्मत को खोलता है। और आपको बीमारियों से भी बचाता है।

दुर्घटना से बचाव के लिए टोटका

दुर्घटना कभी भी हो सकती है। एैसे में बचाव बहुत ही जरूरी है। आप रात के समय में कपूर को जलाकर, हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस अचूक टोटके से इंसान किसी भी तरह की प्राकृतिक व अप्राकृतिक दुर्घटना से बचता रहता है।

वास्तुदोष  दूर करने में कपूर का उपयोग

आपके कई काम इसलिए नहीं बनते हैं, क्योंकि इसके पीछे वास्तुदोष होता है। वास्तुदोष को खत्म करने के लिए, घर में कपूर की दो गोली रखें। और जब यह गल जाएं, फिर दो गोलियां रख दें। एैसा आप समय समय पर करते रहें या बदलते रहें। इससे वास्तुदोष खत्म हो जाएगा।

 सुख शांति के लिए कपूर का वैदिक उपाय यदि आपके घर में परेशानी रहती हो तो कपूर को घी में भिगाएं और सुबह और शाम के समय में इसे जलाएं। इससे निकलने वाली उर्जा से घर के अंदर सकारात्मक उर्जा आती है, जिससे घर में शांति बनी रहती है।

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कपूर के औषधीय प्रयोग

  • त्वचा की समस्याओं में कपूर का इस्तेमाल असरकारी होता है। चेहरे पर होने वाले पिंपल्स या फिर त्वचा संबंधी कोई अन्य समस्या होने पर जरा-सा कपूर, नारियल तेल में मिलाकर चेहरे पर मसाज करना असरदार है. चेचक व खसरे के दाने सूख जाने पर नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से ठंडक मिलती है और खुजलाहट भी दूर होती है.
  • 10 ग्राम कपूर, 10 ग्राम स़फेद कत्था, 5 ग्राम मटिया सिंदूर- तीनों को एक साथ मिलाकर 100 ग्राम घी के साथ कांसे की थाली में हाथ की हथेली से ख़ूब मलकर ठंडे पानी से धोकर रख लें। इसे घाव, गर्मी के छाले, खुजली और सड़े हुए घाव पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
  • पैर की फटी एड़ियों की समस्या होने पर गरम पानी में कपूर मिलाकर उसमें कुछ देर पैर डुबोकर रखें।
  • शरीर के किसी भाग पर होने वाली खरोंच, घाव या फिर जल जाने पर कपूर लगाना जलन को कम करता है। कपूर को पानी में घोलकर लगाने से घाव की जलन कम होगी और ठंडक मिलेगी।
  • खुजली होने पर कपूर को चमेली के तेल में मिलाकर उसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाकर शरीर पर मलने से खुजली तुरंत मिट जाती है।
  • तनाव, सिरदर्द, डिप्रेशन आदि में सिर पर कपूर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है, क्योंकि कपूर की ख़ुशबू मस्तिष्क की नसों को आराम पहुंचाती है.
  • नींद न आना आजकल की आम समस्याओं में से एक है। कपूर के तेल की खूशबू दिमाग को शांत रखने और बेहतर नींद लाने में असरदार है। इसके लिए कपूर के तेल की कुछ बूंदों को अपने तकिए पर लगाएं और आराम की नींद सोएं।
  • बालों के झड़ने पर कपूर के तेल को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से बालों का झड़ना धी-धीरे कम हो जाता है। सिर में रूसी होने पर भी कपूर का तेल लगाने से फायदा होता है।
  • जोड़ों में दर्द या शारीरिक समस्या होने पर कपूर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है। मांसपेशि‍यों के दर्द से राहत देने में यह बेहतरीन है।
  • कपूर और अफीम को राई के तेल में मिलाकर मालिश करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
  • सर्दी जुकाम और फेफड़े संबंधी रोगों में कपूर सूंघने से फायदा होता है। विक्स, बाम जैसे कई उत्पादों को बनाने में कपूर का प्रयोग किया जाता है। नाक बंद होने की स्थिति में कपूर की पोटली सूंघने से नाक खुल जाएगी।
  • काली खांसी होने पर कपूर की धूनी सूंघने से लाभ होता है. पुरानी खांसी में कपूर व मुलहठी को मुंह में रखकर चूसने से राहत मिलती है।
  • न्यूमोनिया हो जाने पर तारपीन के तेल में कपूर मिलाकर मरीज़ की छाती पर मलने से शीघ्र आराम मिलता है।
  • ज्यादा तंबाकू खाने या ग़लती से तंबाकूवाला पान खा लेने पर चक्कर आता है, ऐसी स्थिति में जी मिचलाता हो, तो कपूर की एक छोटी डली खाने से तुरंत आराम मिलता है।
  • 1-1 छोटी चम्मच कपूर और हींग पीसकर गोली बनाकर दमे (अस्थमा) के मरीज़ को दौरे के समय 2-2 घंटे पर देने से दमा का दौरा रुक जाता है और लाभ होता है।
  • बवासीर की समस्या में केले में चने बराबर प्राकृतिक कपूर रखकर खाने से लाभ होता है।

 

Post By Shweta