कार्तिक पूर्णिमा का जैन धर्म में विशेष महत्व है क्योंकि चातुर्मास जो आषाढ़ चतुर्दर्शी से प्रारम्भ होता है, वह कार्तिक पूर्णिमा के दिन संपन्न होता है।यह शुभ दिन तीन कारणों से जैन शासन में महत्वपूर्ण है।
पहला, कार्तिक पूनम के दिन चातुर्मास पश्चात् श्री शत्रुंजय महातीर्थ पलिताना, इस शाश्वत गिरिराज की यात्रा पुनः प्रारंभ होती है। आज ही के दिन द्राविड एवं वारिखिल्लजी 10 करोड़ मुनियों के साथ इस गिरिराज से मोक्ष पधारे थे।
दूसरा, इस दिन के बाद जैन साधू-साध्वी चातुर्मास संपन्न होने से अपनी विहार यात्रा पुनः शुरू करते हैं।
तीसरा, यह दिन बारहवीं शताब्दी के एक महान संत और विद्वान् श्रीमदविजय हेमचंद्राचार्य भगवंतजी की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
आप सभी अपनी सुविधानुसार आज के दिन शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा अथवा भाव यात्रा ज़रूर करें। इस मंगल दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें।