केरल में बाढ़ पीड़ितों की सेवा साधना : गायत्री परिवार ने निभाया मानव धर्म
केरल राज्य में चल रहे प्राकृतिक प्रक्रोध के कारण जन-धन की बहुत क्षति हुई है। जन जीवन खतरे पर है, लगभग सभी ने अपना विशेष त्योहार “ओणम” और स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम रद्द कर दिये हैं। 8 अगस्त 2018 को जल प्रलय के रूप में बदल फटने का शुभारम्भ हुआ जो आज भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिससे सैकड़ों लोगों की जान गई।
इडुकि डेम भरतपूजा नदी पर “मलम्पूजा बाँध” बनाया गया है, जो एशिया का सबसे बड़ा और स्वादिष्ट जल के बारे में जाना जाता है। इडुकी बाँध के एक के बाद एक फाटक खोलते गये पांचो फाटक खोल दिये जिससे लोगों को संभलने का अवसर नहीं मिला। केरल प्रदेश की सबसे बड़ी पेरियार नदी है। डेम का सारा पानी इसी नदी में एक साथ छोड़ने से सबसे पहले इसी के माध्यम से बाढ़ आई। जिससे मुन्नार की पहाड़ी, मालापुरम, वायनाड के साथ आलुआ जो एर्नाकुलम से 30 किमी की दूरी पर है, जहाँ एयरपोर्ट बना है सबसे पहले एयरपोर्ट पर पानी भरना शुरू हुआ। देखते-देखते चारों तरफ जल ही जल दृष्टिगोचर होने लगा। केरल में छोटी – बड़ी कुल नदियाँ 24 हैं तीसरे दिन 24 नदियों के ऊपर बधे बाँधों के फाटक एक – एक करके खोल दिये गये, जिससे बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया और जल प्रलय हो गई, केरल के लोगों का जन-जीवन तहस-नहस हो गया।
“मानव सेवा माधव सेवा” के सिद्धांत को चरितार्थ किरते हुये अखिल विश्व गायत्री परिवार शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार में आपदा राहत के विभिन्न प्रशिक्षण सत्र चलते रहते हैं, जिसकी वजह से देश और विदेश में सहयोगियों की संख्या प्रायः सभी जगह बानी हुई है। केरल गायत्री परिवार का ज़ोन कार्यालय एर्नाकुलम (कोचीन) है। जिसके ज़ोन समन्वयक श्री अशोक अग्रवाल जी से फोन द्वारा दक्षिण ज़ोन शान्तिकुञ्ज के प्रभारी डॉ. बृजमोहन गौड़ जी ने बात की और “बाढ़ राहत कार्य” को आगे बढ़ाने सन्दर्भ में मार्गदर्शन दिया। कार्य का श्री गणेश किया गया, पहले खाने – पीने के समान जैसे पुड़ी, अचार, बिस्किट, ब्रेड और पानी आदि वितरित किये गये, उसके बाद एर्नाकुलम जिला कलेक्टर से श्री मोहम्मद वाई सफीउल्ला (IAS) से मीटिंग करके राहत कैम्प को गति देने के लिये योजना बनाई गयी। खाने – पीने का सामान बहुत एकत्रित हो गया था, तो लोगों के कपड़े – नाइटी, बैड सीट, व भोजन करने के प्लेट, बाल्टी, मग की अत्यंत आवश्यकता पड़ी तो गायत्री परिवार के परिजनों ने सहयोग की अपील अपने नगर वासियों से शुरू की और एक हजार लोगों के लिए सभी सामान खरीदा गया। तब मात्र एक लाख रुपये हाथ में थे, सामन लेने बाजार पहुँचे तो तीन लाख रुपये का बिल बना। सभी गायत्री परिजन उहापोह में थे कि क्या किया जाये क्या न किया जाये, तभी कुछ परिजनों के अपनी ओर से फोन आते हैं और देखते-देखते तीन लाख पाँच हजार रुपये एकत्रित हो जाते हैं। यह गुरुसत्ता और गायत्री माता का आशीर्वाद है जो किसी चमत्कार के सिवाय कुछ नहीं कहा जा सकता है।
15 अगस्त 2018 के स्वतंत्रता दिवस पर गायत्री परिवार एर्नाकुलम के परिजनों ने निम्नलिखित सामान गाड़ियों में भर कर वितरित किये। प्रिंसिपल कमिश्नर इनकम टैक्स कोचीन के श्री नरेन्द्र गौड़ जी एवं विश्व हिन्दू परिषद केरल राज्य के अध्यक्ष श्री एस जे कुमार जी ने मशाल ध्वज हिला कर गाड़ियों की रवानगी की। दोनों मुख्य अतिथियों को तिलक कर गायत्री मंत्र चादर उढ़ाकर सम्मानित किया और गुरुदेव के मलयालम साहित्य को भेंट किया।
1. लुंगी 1000 नग, 2. नाइटी 1000 नग, 3. बेड सीट 1000 नग, 4. खाने की प्लेट 1000 नग, 5. प्लास्टिक बकेट 1000 नग, 6. प्लास्टिक जग 1000 नग, 7. नामक 500 किलो ग्राम, 8. सेलोटेप 5 कार्टून, 9. एक टेम्पो भर कर कार्टून्स आदि।
रविवार 19 अगस्त को भी 1000 लोगों के लिए आवश्यक समान के साथ स्कूल के छात्रों के लिये कॉपी, कलम, पुस्तकें, बैग, स्कूली ड्रेस आदि की भी व्यवस्था की जाएंगी। अब तो अनुदान देने वाले परिजनों की कतार लग रही है। कार्य करने वाले स्वयं सेवकों के लिए भी लोग नामांकन करा रहे हैं। कोई इस पुण्य कार्य में पीछे नहीं रहना चाहते। आस – पास के क्षेत्रों से भी लोगों का सहयोग आ रहा है। हिन्दू, क्रिस्चियन या मुस्लिम हो सभी की सहायता मिलजुल कर कर रहे हैं। लोग आश्चर्य कर रहे हैं कि पीत वस्त्र धारी लोग सेवा के क्षेत्र में भी सबसे आगे हैं।
एर्नाकुलम के प्रमुख राहत टीम श्री अशोक अग्रवाल, श्री लाजपतराय कचौलिया, श्री रमन चोपड़ा, श्री पी.सी. अग्रवाल, श्री महेश जी युवा साथियों के साथ तन, मन, धन से सेवा में लगे हैं।
श्रद्धेय डॉ. साहब एवं आदरणीया जीजी जी के मार्गदर्शन में दक्षिण ज़ोन कार्यालय शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार द्वारा श्री उमेश कुमार शर्मा जी इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन को संभाल रहे हैं। केरल के अन्य दो स्थानों पर भी राहत एवं बचाव कार्य चल रहा है। कालीकट में श्री एम टी विश्वनाथन जी, श्री ज्योतिष प्रभाकरन जी एवं कन्नूर के डॉ. नारायण पुदुसेरी जी बाढ़ आपदा के रेस्क्यू ऑपरेशन के कार्य संभाल रहे हैं।
दक्षिण भारत ज़ोन
गायत्री तीर्थ-शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार
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