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गोवर्धन पूजा: गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां

गोवर्धन पूजा प्रति वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हालांकि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने के कुछ खास नियम भी बताए गए हैं। जिनका पालन न करने पर व्यक्ति को पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है।

क्या हैं गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के नियम 

  • गोवर्धन परिक्रमा करते समय इस बात का ध्यान हमेशा रखें कि आपने जहां से परिक्रमा करनी शुरु की है वहीं से आपको गोवर्धन परिक्रमा समाप्त भी करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने पर ही व्यक्ति को गोवर्धन परिक्रमा का फल प्राप्त होता है।
  • गोवर्धन परिक्रमा शुरु करने से पहले मानसी गंगा में स्नान अवश्य कर लेना चाहिए। अगर ऐसा करना संभव न हो तो हाथ मुंह धोकर भी आप परिक्रमा शुरु कर सकते हैं।
  • विवाहित लोगों को परिक्रमा हमेशा जोड़े में ही करनी चाहिए। इसके अलावा गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय हमेशा पर्वत को अपने दाईं और ही रखें।
  • गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कभी भी अधूरी छोड़ने की गलती न करें। शास्त्रों में कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है। यदि किसी कारण से परिक्रमा अधूरी छोड़नी पड़े तो जहां से आप परिक्रमा अधूरी छोड़ रहे हैं वहीं जमीन पर माथा टेककर भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगकर उन्हें प्रणाम करके उनसे परिक्रमा समाप्ती की अनुमति लें।

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  • गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जहां तक हो सके सांसारिक बातों को त्याग कर पवित्र अवस्था में हरिनाम व भजन कीर्तन करते हुए ही करनी चाहिए।
  • गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय किसी भी प्रकार का धूम्रपान या कोई नशीली वस्तु का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • महिलाओं को पीरियड्स के दौरान गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। लेकिन परिक्रमा करते समय यदि किसी महिला को मासिक धर्म आ जाए तो वह परिक्रमा अधूरी नहीं पूरी ही मानी जाती है।
Post By Shweta