सूफी या बरेलवी मुस्लिम अनुयायी ईद मिलाद-उन-नबी या ईद-ए-मिलाद को इस्लाम के अंतिम पैगंबर,पैगंबर मुहम्मद की जयंती के रूप में मनाते हैं. ईद मिलाद-उन-नबी को आम बोलचाल में अरबी भाषा में नबीद और मावलिद भी कहा जाता है. अरबी भाषा में इसका शाब्दिक अर्थ ‘जन्म’ और ‘मीलाद-उन-नबी’ का मतलब है ‘हजरत मुहम्मद साहब का जन्मदिन’.
कब मनाते हैं ईद मिलाद-उन-नबी
इस दिन को इस्लामिक कैलेंडर में तीसरे महीने में मनाया जाता है. इस दिन, पैगंबर मोहम्मद के अनुयायी उत्सव मनाते हैं. वे मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए सार्वजनिक करतब दिखाते हैं.
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भारत में 29 अक्टूबर को शुरू होगा ईद-ए-मिलाद
मुस्लिम धर्म के लोग मोहम्मद साहब के प्रति बहुत आदर-सम्मान एवं श्रद्दा के भाव रखते हैं. मान्यता है कि मो. पैगंबर को स्वयं अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल के द्वारा कुरान का संदेश दिया था. इस साल, ईद-ए-मिलाद या ईद मिलाद-उन-नबी भारत में 29 अक्टूबर को शुरू होगा और 30 अक्टूबर की शाम को संपन्न होगा. वहीं बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों सहित देश 30 अक्टूबर को दिन मनाएंगे।
पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार 571 ई में इस्लाम के तीसरे महीने यानी रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ थाौर इसी रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगम्बर मुहम्मद साहब का इंतकाल भी हो गया था. पैगंबर हजरत मोहम्मद (स.अ) का पूरा नाम मो. इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब था. इनका जन्म मक्का में हुआ था और 610 ईं. में मक्का स्थित हीरा नामक एक गुफा में इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई. ज्ञान प्राप्ति के पश्चात पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की पवित्र कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया था.
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