हिन्दू पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.
इस बार पंचांग के अनुसार अष्टमी की तिथि 11 अगस्त यानि आज सुबह 9 बजकर 6 मिनट से आरंभ हो रही है. अष्टमी की तिथि 12 अगस्त को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है. 11 अगस्त को भरणी और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र है. इसके बाद रोहिणी नक्षत्र आता है जो 13 अगस्त को रहेगा. इसीलिए कुछ स्थानों पर इस दिन भी जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है.
यह भी पढ़ें-जानिए इस बार 2020 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब मनाएं; शास्त्रोक्त विचार-मंथन व निष्कर्ष
शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी के दिन रात को पूजा करने का समय सही होता है. क्योंकि, भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को ही हुआ था. 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. पूजा की अवधि 43 मिनट है.
पूजा विधि
पूजा से पहले स्नान जरूर करें. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है.
पूजा करने से पहले भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं.
स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं. ध्यान रहें कि वस्त्र नए हो. इसके बाद उनका श्रृंगार करें.
भगवान को फिर भोग लगाएं और कृष्ण आरती गाएं.
जगन्नाथ पुरी में जन्माष्टमी
जगन्नाथ पुरी, बनारस और उज्जैन में कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी. क्योंकि 11 अगस्त से अष्टमी तिथि आरंभ होगी.
मथुरा में जन्माष्टमी
मथुरा और द्वारिका में जन्माष्टमी 12 अगस्त के दिन ही मनाई जाएगी. अधिकतर स्थानों पर 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस साल 43 मिनट का पूजा का मुहूर्त है. जो रात्रि 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में श्रीकृष्ण जन्म की पूजा कर सकते हैं. यानि कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व 12-13 अगस्त की रात में मनाया जाएगा.
[video_ads]
[video_ads2]
You can send your stories/happenings here:info@religionworld.in