जन्माष्टमी का उत्सव योगेश्वर श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण भारतीय जनमानस के ऐसे नायक हैं जिनका चरित्र दार्शनिक होने के साथ-साथ बहुत ही व्यवहारिक है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण अपने साथ ऐसी चीजें रखते है जो जनसाधारण के लिए कुछ न कुछ सन्देश अवश्य देती हैं।
बांसुरी ख़ुशी का प्रतीक
भगवान श्री कृष्ण हर पल बांसुरी को अपने साथ रखते थे। प्रेम और शांति का संदेश देने वाली बांस की बांसुरी उनकी शक्ति थी। बांसुरी सम्मोहन, ख़ुशी व आकर्षण का प्रतीक मानी गई है। हर कोई इसकी मधुर धुन से आकर्षित हो जाता है। बांसुरी बजाने पर उससे उत्पन्न होने वाली ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है एवं वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,मन में आनंद की अनुभूति होती है। बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय है, क्योंकि बांसुरी में तीन गुण हैं। पहला बांसुरी में गांठ नहीं है। जो इस बात की ओर इशारा करती है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखो मतलब मन में बदले की भावना मत रखो। दूसरा बिना बजाये यह बजती नहीं है, मानो यह समझा रही है कि जब तक न कहा जाए तब तक मत बोलो। तीसरा जब भी बजती है मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ हुआ जब भी बोलो,जो भी बोलो मीठा ही बोलो। जब ऐसे गुण किसी में श्री कृष्ण देखते हैं, तो उसे उठाकर अपने हृदय से लगा लेते हैं।
गाय पृथ्वी का प्रतीक
गाय,भगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय है,इसका कारण यह है कि गौ पृथ्वी का प्रतीक है,गौ माता में सभी देवी-देवता विद्धमान रहते है,सभी वेद भी गौओं में प्रतिष्ठित है।गाय से प्राप्त सभी घटकों में जैसे दूध,घी,गोबर अथवा गौमूत्र में सभी देवताओं के तत्व संग्रहित रहते हैं। गाय सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है। गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी, इन्हें पंचगव्य कहते हैं। मान्यता है कि इनका सेवन कर लेने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता। जो गौ की एक बार प्रदक्षिणा करके उसे प्रणाम करता है। वह सब पापों से मुक्त होकर अक्षय स्वर्ग का सुख भोगता है।
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मोरपंख समृद्धि का प्रतीक
शास्त्रों में मोर को चिर-ब्रह्मचर्य युक्त जीव समझा जाता है। अतः प्रेम में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में कृष्ण मोरपंख धारण करते हैं। मोर मुकुट का गहरा रंग दुख और कठिनाइयों, हल्का रंग सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष और वास्तु में मोरपंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा तो आती ही है,ग्रहदोष भी शांत हो जाते हैं। मोरपंख में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है।
कमल पवित्रता का प्रतीक
भगवान श्री कृष्ण को कमल का पुष्प अतिप्रिय है। कमल कीचड़ में उगता है और उससे ही पोषण लेता है। लेकिन हमेशा कीचड़ से अलग ही रहता है। इसलिए कमल पवित्रता का प्रतीक है। इसकी सुंदरता और सुगंध सभी का मन मोहने वाली होती है। साथ ही कमल यह संदेश देता है कि हमें कैसे जीना चाहिए,सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन किस प्रकार जिया जाए कमल का फूल हमें इसका सरल तरीका बताता है।
माखन मिश्री प्रेम का प्रतीक
माखन चोर कहलाने वाले कान्हा को माखन मिश्री बहुत ही प्रिय है। मिश्री का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है। माखन के प्रत्येक हिस्से में मिश्री की मिठास समा जाती है। मिश्री युक्त माखन जीवन और व्यवहार में प्रेम को अपनाने का संदेश देता है। यह बताता है कि प्रेम में किस प्रकार से घुल मिल जाना चाहिए।
वैजयंती माला देती है ज़मीन से जुड़े रहने का सन्देश
भगवान कृष्ण का रूप अत्यंत दिव्य है उनके गले में वैजयंती माला सुशोभित है,जो कमल के बीजों से बनी हैं। दरअसल, कमल के बीज बहुत सख्त होते हैं। कभी टूटते नहीं, सड़ते नहीं, हमेशा चमकदार बने रहते हैं। इसका तात्पर्य है, जब तक जीवन है, तब तक ऐसे रहो जिससे तुम्हें देखकर कोई दुखी न हो।दूसरा यह माला बीज है, जिसकी मंजिल होती है भूमि।इस माला के माध्यम से श्री कृष्ण सन्देश देते हैं,कि जमीन से जुड़े रहो, कितने भी बड़े क्यों न बन जाओ। हमेशा अपने अस्तित्व की असलियत के नजदीक रहो,अहंकार से दूर रहो।
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