अखाड़ा के संतों और नागा साधुओं के संग भक्तों ने किया शाही स्नान
देश के 13 अखाड़ों के लिए वो दिन आ गया जिसके लिए वो सालों इंतजार करते हैं। प्रयागराज का कुम्भ आज से शुरु हो गया। भक्तों के लिए मोक्ष पाने का अवसर आ गया। संतों की साधना का समागम शुरू हो गया। नागा साधुओं के लिए स्नान की बेला आ गई। भोर की पहली किरण से पहले ही साधु, संन्यासी, बैरागी और ब्रह्मचारी तैयार हो गए। अखाड़ो में रथ सज गए, ट्रैक्टरों पर सिंहासन लग गए। रेले बन गए, मेले में रौनक की किरण पैदा सी हो गई।
सूर्यदेवता के निकलने से पहले ही लाखों लोग स्नान का लाभ ले चुके थे। महानिर्वाणी अखाड़ा तो पूरे लाव-लश्कर के संग गंगा को अपने तप से ऊष्मा दे चुका था। फिर आया निरंजनी। और इसके बाद जूना-आहवान और अग्नि अखाड़ा आए।
शाही स्नान का सिलसिला दिन भर जारी रहेगा। संन्यासियों के बाद बैरागी और फिर उदासीन अखाड़े स्नान करेंगे। प्रशासन द्वारा जारी किए गए इस क्रम से ही अखाड़े शाही स्नान करेंगे।
मकर संक्रांति के शुभ दिन जब सूर्य उत्तरायण हुए, लाखों लोगों ने कामना, साधना और मोक्ष की डुबकी लगाकर अपना जीवन धन्य किया। इसी के साथ एक सनातन परंपरा आज फिर पुष्पित पल्लवित हुई।
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