Kundalini Chakras Jagran : कुंडलिनी चक्र जागरण की कई विधियां प्राचीन योग शास्त्रों में बताई गई है – उन्हीं में से एक है प्राण शक्ति के जरिए चक्र जागरण। जब ईडा और पिंगला नाड़ी संतुलन में आती है, तो सुषुष्मना नाड़ी जाग्रत होती है और इस नाड़ी के जागरण के साथ आंतरिक शक्ति के केंद्र कुंडलिनी जाग्रत हो जाती है। आधुनिक काल में चक्र जागरण को लेकर काफी भ्रांतियां फैल गई है और काफी पेजीदिगयां सामने आई है। योगगुरु धीरज इस विडियो में बहुत सरलता से बता रहें हैं कि कैसे हमारी सामान्य सांस जागरण में सहायक है, आखिर इन सांसों के जरिए ही तो सिद्धार्थ गौतम को निर्वाण की प्राप्ति हुई और वो बुद्ध बन गए।
Courtesy: http://vyfhealth.com/
Embed from : https://www.youtube.com/channel/UCKU31_8sZ6vkYO7XEoYJC9Q