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ज्योतिष : क्या कुंडली मिलने से वैवाहिक जीवन सफल बना रहता है?

ज्योतिष : क्या कुंडली मिलने से वैवाहिक जीवन सफल बना रहता है?

विवाह मानव जीवन का एक पड़ाव है जिसके वाद इन्सान अपनी पूर्व की जीवन शैली को छोड़ कर एक नये जीवन के सफर पर चलता है। हर स्त्री या पुरुष विवाह के समय अपना जीवन एक अन्जान व्यक्ति के साथ सिर्फ यह सोचकर जोड़ता है कि मेरा हम सफर जीवन में सदैव मेरा साथ निभायेगा। मेरे हर सुख-दुःख को अपना सुख-दुःख समझेगा और जिन्दगी में आने वाली सभी कठिनाइयों का मिलकर मुकाबला करेगा। विवाह को पड़ाव इसलिये कहा गया है क्योंकि विवाह से पूर्व व्यक्ति सिर्फ अपने लिये सोचता है, स्वयं के लिये जीता है किन्तु विवाह के पश्चात वह अपने परिवार के लिये अपनी आने वाली संतती के लिये जीता है। पर आज विवाह का मतलब ही बदल गया है। रोज हम हमारे समाज में कई मामलों में देखतें हैं कि व्यक्ति तनाव ग्रस्त वैवाहिक जीवन के फलस्वरुप हत्या और आत्महत्या जैसा अपराध भी कर देते हैं।
हमारे देश में 80 प्रतिशत शादियां सिर्फ गुण-मिलान के आधार पर कर दी जाती हैं जो कि किसी भी गली-मुहल्ले में किसी मन्दिर में बैठे पुजारी से मिलवा लिये जाते हैं क्योंकि प्रायः सभी मन्दिरों में पुजारी के पास पंचाग होता है और सभी पंचांगों में गुण-मिलान की सारणी होती है, मात्र वो सारणी देखकर जो कि एक आम आदमी भी देख सकता है पुजारी जी कह देते हैं कि लड़के-लड़की के 28 गुण मिल रहे है कोई दोष नही हैं आप विवाह कर सकते हैं और मात्र इतने से गुण मिलान मानकर किसी के भाग्य का निर्णय हो जाता है, और विवाह हो जाता है। बाद में परिणाम चाहे जो हों यहाँ मैं यह कहना चाहुँग कि मेरे उक्त कथन का तात्पर्य यह कतई नही हैं कि मैं गुण-मिलान को आवश्यक नही मानत या गुण-मिलान का कोई औचित्य नही है, बल्कि मेरा भी  यह कहना है कि एक सफल विवाह के लिये गुण मिलान भी अत्यन्त आवश्यक हैं किन्तु इसके साथ यह भी कहना है कि सिर्फ गुण-मिलान ही काफी नही है बल्कि पूर्ण कुंडली मिलान उससे भी ज्यादा आवश्यक है।
यहाँ मैं पाठकों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूँग कि प्रायः एक दिन या चौबीस घंटो में एक ही नक्षत्र होता है। मात्र एक या दो घंटे ही चौबीस घंटों में दूसरा नक्षत्र होता है और गुण-मिलान सिर्फ किस नक्षत्र के किस चरण में जातक का जन्म हुआ है, उसके आधार पर होता है। किन्तु उन चौबीस घन्टों में बारह लग्नों की बारह लग्न कुण्डलियाँ बनती है। कहने का तात्पर्य यह कि उन चौबीस घंटों में जन्में सभी जातकों की जन्म नक्षत्र और जन्म राशि तो समान होंगी किन्तु उन सभी की कुंडलियाँ अलग-अलग होगी किसी के लिये गुरु, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल कारक ग्रह होगे तो किसी के लिये शुक्र, शनि या बुध कोई मांगलिक नही होगा। किसी की कुण्डली में राजयोग तो किसी की कुंडली में दरिद्र योग होगा। कोई अल्पायु होगा, कोई मध्यायु होगा, तो कोई दीर्घायु, तो किसी कुण्डली में उसका वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा होगा तो किसी की कुण्डली में बहुत खराब होगा। किसी के द्वि-विवाह, त्रि-विवाह योग होता है तो कोई अविवाहित रहता है। कहने का तात्पर्य यह कि उन चौबीस घंटों में जन्में सभी जातकों को जन्म नक्षत्र तो एक ही होगा किन्तु सभी की कुण्डलियाँ और उनका भाग्य अलग-अलग होगा। यहाँ पुनः ध्यान देने योग्य यह बात है कि गुण-मिलान सिर्फ जन्म नक्षत्रों के आधार पर ही होता है ऐसे में यदि किन्ही दो लड़के-लडकी के गुण मिलायेंगे और उनके गुण मिल भी गये किन्तु उनकी कुण्डल्यिं में कोई दोष है तो वह विवाह कतई सफल नही हो सकता है।मेरे व्यक्तिगत ज्योतिशीय अनुभवों में मैने सैकड़ों ऐसी कुण्डलियाँ देखी हैं जिनके गुण तो 28-28, 30-30 मिल जाते हैं किन्तु उनका वैवाहिक जीवन अतियन्त कष्टप्रद है। उनके तलाक के मुकदमे चल रहे हैं या तलाक हो चुके हैं या उनका जीवन ही खत्म हो चुका है और सैकड़ों ऐसी कुण्डलियाँ देगी गयी हैं जिके मात्र 8-8, 10-10 गुण ही मिलते हैं किन्तु फिर भी उनका पारिवारिक वैवाहिक जीवन सुखद, उन्नतिपूर्ण रहा है, चल रहा है।
अतः यहाँ मैं पुनः यह लिखना और कहना चाहुँग कि मैं गुण मिलान के खिलाफ नही हूँ गुण मिलान भी आवश्यक है किन्तु मेरा पाठकों से सिर्फ यह निवेदन है कि मात्र गुण मिलान पर ही पूर्ण भरोसा नही करें किसी योग्य ज्योतिषी से बालक-बालिका की कुण्डलियाँ मिलवाकर ही उसके विवाह का निर्णय लें क्योंकि गुण-मिलान से ज्यादा आवश्यक है कुण्डलियों का मिलना और दोनों की कुण्डलियों में उनके वैवाहिक जीवन की स्थिति।
पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
 
Post By Religion World