हम अक्सर फेंगशुई के बारे में सुनते है, उससे जुड़े हुये उपाए हमें लगभग हर तीसरे या चौथे घर में देखने को मिल जायेंगे. लेकिन वास्तव में आप फेंगशुई के बारे में कितना जानते हैं? हमने भी फेंगशुई के बारे में कुछ जानकारी जुटाई है…. चलिए वही जानकारी हम आपके साथ साझा करते हैं.
क्या है फेंगशुई
फेंगशुई चीन की वास्तुकला है, जिसका शाब्दिक अर्थ है हवा और पानी. स्पष्ट रूप से कहा जाए तो हवा और पानी का सही संतुलन ही फेंग शुई है. यह हम सभी जानते हैं कि हवा से सुख की अनुभूति होती है और पानी से तृप्ति.
फेंगशुई में भी पञ्च तत्वों का महत्त्व
भारतीय वास्तु शास्त्र में पञ्च तत्वों का महत्व है. प्रकृति के पांच तत्व यानि अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश. ठीक उसी प्रकार फेंगशुई में भी पांच तत्वों-अग्नि, पृथ्वी, धातु, जल और लकड़ी को महत्व दिया गया है. ध्यान दीजिये दोनों का मूलभूत अंतर क्या है? फेंगशुई में भारतीय वास्तु शास्त्र के वायु और आकाश की जगह लकड़ी और धातु को लिया गया है. चीनी वास्तु शास्त्र के अनुसार फेंग शुई के पांच तत्वों को एक-दूसरे से दो तरीके से संबंध किया गया है. पहला है उत्पादक चक्र व दूसरा है विनाशक चक्र.
बागुआ है फेंगशुई का प्रमुख उपकरण
फेंगशुई के अनुसार प्रत्येक वस्तु एक प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न करती है, अब ऊर्जा नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी. इस ऊर्जा को हम यिन और यंग कहते हैं. यिन अर्थात नकारात्मक ऊर्जा और यांग अर्थात सकारात्मक ऊर्जा. यिन और यांग एक दूसरे के पूरक हैं जैसे रात और दिन, स्त्री और पुरुष, मृत्यु और जीवन. काला रंग यिन का प्रतीक है और सफेद रंग यांग का. ये दोनों चिह्न बागुआ के मध्य में होते हैं और आठों दिशाओं में आठ डाईग्राम होते हैं.
सुख, सौभाग्य, समृद्धि के लिए हर चीज़ सही दिशा में होनी ज़रूरी है. फेंगशुई में दिशाओं को बहुत महत्व है और फेंगशुई का यह उपकरण यानि बागुआ इसी का कार्य को पूर्ण करता है.