मॉं चंद्रघंटा : नवरात्रि की तृतीय देवी
देवी का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। जीवन में आकर्षण, सौंदर्य, प्रेम में वृद्धि होती है। भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा के दौरान पीले रंग के कपड़े पहनना अच्छा माना जाता है।
देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए। गुड़ और लाल सेब भी मैय्या को बहुत पसंद है। ऐसा करने से सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं।मिथुन एवम कन्या राशि वाले जातक को माता भुवनेश्वरी या माता चन्द्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।
मां चंद्रघण्टा का यह मंत्र करेगा आपका कल्याण
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि चन्द्रमा हमारे मन का प्रतीक है। मन का अपना ही उतार चढ़ाव लगा रहता है। प्राय: हम अपने मन से ही उलझते रहते हैं – सभी नकारात्मक विचार हमारे मन में आते हैं, ईर्ष्या आती है, घृणा आती है और आप उनसे छुटकारा पाने के लिये और अपने मन को साफ़ करने के लिये संघर्ष करते हैं। ‘चंद्र’ हमारी बदलती हुई भावनाओं, विचारों का प्रतीक है (ठीक वैसे ही जैसे चन्द्रमा घटता व बढ़ता रहता है)। ‘घंटा’ का अर्थ है जैसे मंदिर के घण्टे-घड़ियाल (bell)। आप मंदिर के घण्टे-घड़ियाल को किसी भी प्रकार बजाएँ, हमेशा उसमे से एक ही ध्वनि आती है। इसी प्रकार एक अस्त-व्यस्त मन जो विभिन्न विचारों, भावों में उलझा रहता है, जब एकाग्र होकर ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाता है। सार यह कि सबको एक साथ लेकर चलें – चाहे ख़ुशी हो या गम – सब विचारों, भावनाओं को एकत्रित करते हुए एक विशाल घण्टे -घड़ियाल के नाद की तरह। देवी के इस नाम ‘चन्द्रघण्टा/चन्द्रघंटा’ का यही अर्थ है और तृतीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में इसे मनाया जाता है।