15 जनवरी को देर रात 2.07 मिनट को सूर्य मकर राशि में आगमन। पुण्यकाल मध्यरात्रि में संक्रांति होने की वजह से अगले दिन। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है।
मकर संक्रांति 15 जनवरी 2020 को मनाई जायेगा। शास्त्रों के नियमों के अनुसार इसका पुण्यकाल मध्यरात्रि में संक्रांति होने की वजह से अगले दिन पर होता हैं। इस दिन सुबह उठकर सूर्य देवता को जल, तिल और लाल चन्दन अर्पणा करना शुभ माना जाता है। इस बार 15 जनवरी को देर रात 2.07 मिनट को सूर्य मकर राशि में आगमन करने वाला है।
पौष मास के शुक्ल पक्ष में संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही संक्रांति कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में उत्तारायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, तप, जप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। कहते हैं कि इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है।
इस दिन घी व कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। इसका दान करने वाला संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है-
माघे मासि महादेव यो दद्याद् घृतकम्बलम्।
स भुकत्वा सकलान् भोगान् अन्ते मोक्षं च विन्दति।।
इस दिन गंगास्नान व गंगातट पर दान की विशेष महिमा है। भारत के अलग-अलग प्रांतों में इस दिन का पर्व विभिन्न नामों व तरीकों से मनाया जाता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। मकर-संक्रांति से दिन बढऩे लगता है और रात की अवधि कम होती जाती है। चूंकि सूर्य ही ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत है इसलिए हिंदू धर्म में संक्रांति मनाने का विशेष महत्व है।
प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मनाए जाने वाले पर्व को लेकर इस बार ज्योतिषियों में मतभेद हैं। ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है तब संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा जबकि कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार का पर्व 15 जनवरी को रहेगा। अधिकांश ज्योतिषियों का यही कहना है कि मकर संक्राति पर किए जाने वाले स्नान, दान आदि धार्मिक कर्मकाण्ड 15 जनवरी को ही करना श्रेष्ठ रहेगा।
देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है संक्रांति…