आज भी जागृत हैं काशी खण्डोक्त देव विग्रह : स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्दः
मन्दिर बचाओ आंदोलनम् के तहत ही सही काशी की पंचक्रोशी यात्रा करते समय उनके जागृत होने का अनुभव हुआ । उनकी शक्ति और सामर्थ्य अतुल्य हैं ।
पंचक्रोशी यात्रा करते समय हमलोगों ने यह पाया कि अनेक देव विग्रह विलुप्त हो चुके हैं । यह तो शोध का विषय है कि वे कैसे और कब विलुप्त हुए ? पर हमलोग आज यहाँ पर उन सभी विलुप्त विग्रहों की सचल प्रतिष्ठा कर पूजन कर रहे हैं ।
आगे चलकर यह पता किया जाएगा कि ये विग्रह किन किन स्थानों पर थे ? उन्हीं उन्हीं स्थानों पर जमीन खरीदकर मन्दिर बनाकर पुनः उन देवताओ की स्थापना की जाएगी। तब तक उन विग्रहों का श्रीविद्यामठ की ओर से पूजन किया जाता रहेगा ।
उक्त बातें स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने आज सायं 5 बजे श्रीविद्यामठ में आयोजित पंचक्रोशी के विलुप्त देवताओं के पूजन के अवसर पर कही ।
उन्होंने कहा कि हमें प्रशासन से कोई आशा नहीं है कि वह इन विग्रहों की स्थापना के लिए कोई सहयोग करेगा । हम स्वयं देवताओं के नाम से जमीन खरीदेंगे या यदि कोई भक्त उस स्थान पर जमीन दे दे तो उस पर हम इन देवताओं के मन्दिर बनवाकर उनकी अचल स्थापना करेंगे ताकि यथा परम्परा पंचक्रोशी यात्रा के समय उसी उसी स्थान पर लोग इनका दर्शन कर आशीर्वाद लाभ प्राप्त कर सकें ।
उन्होंने आगे बताया कि पंचक्रोशी यात्रा के समय कुल 108 लोग साथ थे । पर चलते चलते कुछ लोगों के शरीर ने साथ नहीं दिया । फिर भी छप्पन लोग अन्त तक साथ रहे । कुल 832 देवताओं के दर्शन सबने किया । 2,73,040 कदम चलकर और 238.42 किमी की दूरी तय की गई ।
आचार्य पं श्री धनंजय दातार जी के आचार्यत्व में स्वामिश्रीः ने सभी शिवलिंगो की सचल प्राण प्रतिष्ठा कर अभिषेक और पूजन किया ।
पूजन समारोह में राजेन्द्र तिवारी बबलू जी गिरीश तिवारी जी ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानन्द जी ब्रह्मचारी मुरारी स्वरूप जी ब्रह्मचारी कृष्ण प्रियानन्द जी सावित्री पाण्डेय जी रागिनी पाण्डेय जी सुनीता जायसवाल जी ब्रह्मबाला शर्मा जी रूपेश तिवारी जी नरसिंह मूर्ति जी राजनाथ तिवारी जी अभयशंकर तिवारी जी उद्देश्य तिवारी जी आदि जन उपस्थित रहे ।
इस अवसर पर डा परमेश्वर दत्त शुक्ल जी ने कहा कि लोक कल्याण के लिए जींस प्रकार स्वामिश्रीः ने पदयात्रा की और काशी खण्ड के देवालयों का दर्शन कर विलुप्त देवी देवताओं की स्थापना कर रहे हैं वह इतिहास बन रहा है ।
अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री राजेन्द्र तिवारी बबलू जी ने कहा कि यात्रा के समय स्कन्दपुराण के वर्णित विषय से आज की काशी किस तरह अलग हो रही है। इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।
श्री उमाशंकर गुप्ता जी ने कहा कि आज तक हमने अनेकों लोगों को दर्शन कराया पर ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं हुआ । किसी ने भी इतनी गहराई से पंचक्रोशी यात्रा नहीं की और विलुप्त देव विग्रहो के बारे में विचार नहीं किया । यह इतिहास में सम्भवतः पहली बार हुआ है ।
डा विजयनाथ मिश्र जी ने कहा कि स्वामिश्रीः ने पंचक्रोशी यात्रा कर इतिहास रच दिया । आज धर्म कार्य के लिए युवाओं की आवश्यकता है । जब हम सब घाट पर से गुजरते हैं तो हमारा शीश करपात्री जी गुरुजी और स्वामिश्रीः के प्रति झुक जाता है । बिना गुरु और भगवान् के हमें निरोगी काया का आशीर्वाद नहीं मिल सकता । आज लोग काला धन खोजने में लगे हैं पर स्वामिश्रीः भगवान् और उनके मन्दिरो को खोजने में लगे हैं । आपकी यात्रा का जो सोशल मीडिया पर लाइव किया गया उससे अनेक लोगों को घर बैठे ही दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
डा हरेन्द्र शुक्ल जी ने कहा कि यह धर्म की लडाई है और इसमें विजय धर्म की हो होनी है । जिस प्रकार फ़िल्म में अन्तिम समय तक खलनायक लडता है और अन्त में वह परास्त होता है उसी प्रकार धर्म के द्रोही लोग अन्त में समाप्त होंगे और विजय स्वामिश्रीः की होगी ।
राजनाथ तिवारी जी ने कहा कि आज काशी के लोग आन्दोलन के साथ नहीं आ रहे हैं वे अपने पैर पर ही कुल्हाडी मार रहे हैं । उनको अपना भविष्य नहीं दिख रहा है पर एक दिन उनको अवश्य समझ आएगा । स्वामी जी की तपस्या काशी को बचाने के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी ।
अवधेश जी ने कहा कि आज का युवा हर चीज गूगल पर खोजता है । अतः हम सबको मिलकर एक सांस्कृतिक मैपिंग करानी चाहिए जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से मन्दिर तालाबों तक पहुँच जाए ।
गिरीश तिवारी जी ने कहा कि काशी की धरती के लिए स्वामिश्रीः का योगदान अविस्मरणीय है । यात्रा पर जब निकले तो लोगों ने अपना कष्ट बताया । देवालय ही नहीं तालाब आदि भी कब्जा किए जा रहे हैं । यात्रा के बाद दृष्टि ही बदल जाती है । जब हम सब लौटे तो हर घाट में देव विग्रह के दर्शन होने लगे । यह यात्रा का आध्यात्मिक लाभ है।