मंत्रमहर्षि श्री योगभूषण जी महाराज के आह्वान पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पहली बार डिजिटल माध्यम से 5000 श्रद्धालुओं ने किया मंत्रयोग महाप्रार्थना एवं सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ
नयी दिल्ली, 23 जून; रविवार 21 जून, दोपहर 02: 21 मिनट पर के दिव्य आह्वान पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एवं सूर्यग्रहण के सिद्धिकाल में पूरे भारत मे एक साथ – एक समय पर विश्वशांति एवं कोरोना मुक्ति के लिए मंत्रयोग महाप्रार्थना एवं सर्वार्थसिद्धि यज्ञ का ऐतिहासिक आयोजन किया गया, जिसका सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण हुआ ।
विश्वशांति और कोरोना मुक्ति के लिए किये गए इस मंत्रयोग महाप्रार्थना एवं सर्वार्थसिद्धि यज्ञ में पांच हज़ार से भी अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
मंत्रमहर्षि श्री योग भूषण जी महाराज ने सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ में मंत्रोच्चारण किया जिसे सोशल मीडिया के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के चलते उनके अनुयायियों ने घर पर रहकर ही इस यज्ञ में हिस्सा लिया।
श्री योगभूषण जी महाराज ने इस महायज्ञ की सारी विधि एवं नियम को लाइव बताया, जिससे भक्तगणों को यज्ञ करते समय किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।
अनुयायियों द्वारा हवनकुंड में प्रज्व्वलित की गयी अग्नि अग्निकमल के समान महसूस हो रही थी। कई अनुयायियों ने यज्ञ करते हुए अपनी तस्वीरें और वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर की।
महायज्ञ के दौरान मंत्र महर्षि श्री योगभूषण जी महाराज ने बताया कि 21 जून को मिथुन राशि के मृगशिरा नक्षत्र में सूर्य ग्रहण लगा है, इस कंकण सूर्यग्रहण में श्री चूड़ामणि योग भी बन रहा है, ऐसे सिद्धि काल में की गयी मन्त्र साधना शीघ्र फलदायी होती है।
मंत्रयोग साधना के पश्चात सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ करने से जप का अनंतगुणा फल तथा सिद्धि की प्राप्ति होती है। इस सिद्धिकाल में सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ के लाइव प्रसारण से समस्त भक्तगणों को दिव्य सुरक्षा प्राप्त हुई।
श्री योगभूषण जी महाराज बताते हैं कि मन्त्र विद्या की साधना में आने वाली विपत्तियों से रक्षा करने वाले मन्त्र विद्या में निष्णात गुरु ही होते हैं। इसलिए साधना काल में गुरु ही हमारे माता, पिता और सच्चे मित्र हैं। वह कहते हैं कि गुरु की कृपा से ही योग्य शिष्यों को विद्या और मन्त्र का ज्ञान मिलता है, अतः मन्त्र साधना द्वारा कार्यसिद्धि की अपेक्षा रखने वाले साधक को हमेशा विनयपूर्वक अपने इष्ट गुरु की उपासना करनी चाहिए.
मंत्रमहर्षि श्री योगभूषण जी महाराज मंत्र और ध्यान के विषय में बात करते हुए कहा कि ध्यान में मन्त्र का प्रयोग हमारे जीवन की दिशा बदल सकता है, जब हम किसी प्रकार की शब्द ध्वनि की चोट लगातार अपने मन पर करते हैं तो मन की सकरात्मक प्रतिक्रिया होती है, जिसका परिणाम स्वास्थ्य लाभ, धन लाभ आदि के रूप में दिखायी देता है।
प्रत्येक मंत्र की अपनी एक विशिष्ट ऊर्जा होती है, जिसे ध्यान में जागृत करके उसका प्रतिफल प्राप्त किया जाता है। इसलिए मंत्र साधना में शुद्धि और श्रद्धा के साथ-साथ ध्यान की अनिवार्यता भी बताई गयी है।
ये मंत्रयोग साधना आधुनिक नहीं है, ये तो अतिप्राचीन चिकित्सा पद्धति है! बशर्ते, इसका विधिपूर्ण ज्ञान होना अनिवार्य है, सही ज्ञान के अभाव में यह विधा प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।
मंत्रमहर्षि श्री योगभूषण जी महाराज ने 21 जून को गयी मंत्रयोग साधना और सर्वार्थसिद्धि महायज्ञ करते समय यह भी बताया कि जैन सिद्धांत का मूलाधार मंत्र साधना ही तो है, जैन तीर्थंकर भी अपने जीवन मे नमः सिद्धेभ्य: मंत्र बोलकर ही सन्यास को धारण करते हैं । मंत्र आपके जीवन में चमत्कार करते हैं लेकिन उसे गुरु के निर्देशानुसार ही जाप करें।
सम्पूर्ण भारत में इस ऐतिहासिक मंत्रयोग महाप्रार्थना और सर्वार्थसिद्धि यज्ञ का समायोजन धर्मयोग फाउंडेशन परिवार के तत्वाधान में आयोजित किया गया था। जिसमे देश के ही नही विदेशों में रह रहे श्रद्धालुओं ने भी सम्मिलित होकर सातिशय पुण्यार्जन किया ।
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