भागवताचार्य संजयकृष्ण सलिल की की पितृपक्ष में गया धाम में पावन कथा जारी है। हजारों भक्तों और आगंतुकों को कथा में श्राद्ध की महिमा और कथाएं पता चल रही है। कथा के क्रम में आज मातृ नवमीं तिथि की महिमा बताई गई।
कल तक आपने सत्रह दिनों के श्राद्ध में सोलह वेदी श्राद्ध संपन्न कर लिया और आज आप सीताकुंड में जहां माता सीता ने श्राद्ध किया, वहां बालू के पिण्ड दिया। बाकी कथा आप जानते हो, जहां भगवान राम ने श्राद्ध किया वो जगह राम-गया तीर्थ नाम से विख्यात है। सीता जी ने जहां श्राद्ध किया वहां सौभग्य पिटारी – नख शिख श्रृंगार सामग्री दान करने का विधान है।
आज मातृ नवमीं तिथि है, इस तिथि का महत्व है कि तिथि जिनकी चाहे जो है, सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए आज श्राद्ध दिवस है, जो विशेष महत्व रखता है।