मौनी अमावस्या (16 जनवरी 2018) पर क्या और क्यों करें ?
मौनी अमावस्या पर बन रहे विशेष योग में बरतें सावधानी, कौन से उपायों से सफल होगा ये खास दिन
मौनी अमावसया के दिन प्रयाग में स्नान के दृश्य
यह रहेगा मौनी अमावस्या 2018 शुभ मुहूर्त
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस मौनी अमावस्या का आरंभ सुबह 5 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है जो 17 जनवरी को सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इसलिए सूर्योदय के बाद से ही पूरे दिन स्नान दान का शुभ मुहूर्त है।
अमावस्या और मंगलवार के संयोग से ये भौमवती अमावस्या कहलाती है। इस दिन किए गए उपाय अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फल देते हैं। तंत्र शास्त्र में इस दिन को खास महत्व दिया जाता है। अमावस्या को सूर्य और चन्द्र का मिलन होता है और दोनों एक ही राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष की दृष्टि से चन्द्रमा को मन का कारक देव माना जाता है। अमावस्या की रात चन्द्रमा लुप्त हो जाता है। जिन जातको की नकारात्मक विचारधारा होती है ऐसे जातको पर नकारात्मक शक्तियां अपना प्रभाव जल्दी डालती हैं। ज्योतिषशास्त्र और धर्म की दृष्टि से यह बहुत ही अद्भुत संयोग माना जा रहा है। धर्म ग्रंथों में इसे मौनी अमावस्या कहा गया है। मौनी शब्द मौन से बना है इसलिए अपने नाम के अनुसार इस अमावस्या तिथि में सुबह बिना कुछ भी बोले स्नान करना होता है।
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस साल माघ के महीने में मंगलवार के दिन मौनी अमावस्या का होना इसलिए भी शुभ माना जा रहा है कि इससे भौमवती अमावस्या का भी संयोग बन गया है। इससे मंगल से संबंधित ग्रह दोषों को भी दूर किया जा सकता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस अमावस्या के संयोग में गंगा स्नान, जप, तप, ध्यान, तर्पण एवं दान करने से एक हजार गाय दान करने का पुण्यफल प्राप्त होता है।
जो लोग गंगा स्नान नहीं कर पाते हैं वह अपने घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर भी स्नान करें और (गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति । नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ।।) इस मंत्र को बोलते हुए स्नान करें तो त्रिवेणी स्नान का पुण्य प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रखना, गंगा स्नान करना और दान देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पितरों से संबंधित सभी श्राद्ध-तर्पण आदि कार्य अमावस्या तक और अनुष्ठान या बड़े यज्ञ आदि कार्य शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तक किए जाते हैं। इन सभी युतियों में माघ माह में सूर्य एवं चन्द्र का मिलन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान सभी देवी देवता प्रयाग तीर्थ में इकट्ठे होते हैं माघ की अमावस्या के दिन यहां पितृलोक के सभी पितृदेव भी आते हैं। अतः यह दिन पृथ्वी पर देवों एवं पितरों के संगम के रूप में मनाया जाता हैं।
इस अमावस्या के विषय में कहा गया है कि इस दिन मन, कर्म, तथा वाणी के जरिए किसी के लिए अशुभ नहीं सोचना चाहिए। केवल बंद होठों से उपांशु क्रिया के जरिए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ खखोल्काय नमः ॐ नमः शिवाय मंत्र पढ़ते हुए अर्घ्य आदि देना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन में प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में जहां-जहां भी अमृत की बूंदें गिरी थीं उन-उन स्थानों पर यदि मौनी अमावस्या के दिन जप-तप, स्नान आदि किया जाए तो और भी पुण्यप्रद होता है। सतयुग में में तप से, द्वापर में श्रीहरि की भक्ति से, त्रेता में ब्रह्मज्ञान और कलियुग में दान से मिले हुए पुण्य के बराबर माघ मास की मौनी अमावस्या में केवल किसी भी संगम में स्नान दान से भी उतना ही पुण्य मिल जाता है। इस दिन स्नान के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान देना चाहिए। इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। अमावस्या की रात भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्यों की रात मानी जाती है क्योंकि इस रात में यह शक्तियां अधिक सक्रिय और बलवान हो जाती हैं। अमावस्या की रात विशेष सावधानी रखें।
मौनी अमावस्या के दिन किए गए ये अचूक उपाय आपको देंगे हर समस्या से निजात और बनाएंगे धनयोग। पितरों की प्रसन्नता के लिए जनेऊधारी ब्राह्मण को भोजन खिलाएं, पितर कृपा से बनेंगे अमीर। धन लाभ हेतु देवी लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाकर कमल गट्टे की माला से इस मंत्र का ग्यारह माला जाप करें- मंत्र- सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
किसी भी इच्छा की पूर्ति के लिए शिवलिंग पर पंचामृत व बिल्वपत्र चढ़ाएं, दीपदान करें। रुद्राक्ष की माला से ऊं नमः शिवायः मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने से समस्त परेशानियों का नाश होता है। पापों का प्रायश्चित करने के लिए चीटियों को शक्कर मिला कर आटा खिलाएं। शाम को गाय के घी का दीपक घर के ईशान कोण में जलाएं और दीपक में रूई की जगह पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें और दीपक में थोड़ा केसर भी डालें।
आइये जाने की ओर क्या करना चाहिए मौनी अमावस्या पर
- माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से एक विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है।
- अमावस्या के दिन जप-तप, ध्यान-पूजन करने से विशेष धर्मलाभ प्राप्त होता है।
- मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर आचरण तथा स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।
- शास्त्रों में वर्णित है कि माघ मास में पूजन-अर्चन व नदी स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है तथा इन दिनों नदी में स्नान करने से स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग मिल जाता है।
- जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए।
- इस दिन सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
- जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।