नयी दिल्ली, 7 जुलाई; भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के एक नए अध्ययन में पता चला है कि चाय और हरीतकी जिसे हरड़ के नाम से भी जाना जाता है , उसमें कोरोना वायरस संक्रमण के लड़ने की औषधीय क्षमता होती है.
इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि गैलोटनिन (टैनिक एसिड) भविष्य में सार्स-सीओवी-2 से लड़ने में चिकित्सकीय तत्व के रूप में उभर सकता है. हालांकि इन पौधों को औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाने की सत्यता परीक्षणों के बाद ही प्रमाणित हो सकेगी.
संस्थान के प्रोफेसर अशोक कुमार पटेल ने शोध दल की अगुवाई की. पटेल कहते हैं कि चिकित्सकीय पौधे मनुष्य में विषाणुजनित रोगों की घातकता को कम करने के लिए किफायती चिकित्सकीय विकल्प मुहैया करा सकते हैं.
आईआईटी के कुसुमा स्कूल ऑफ बायलोजिकल साइंसेज (केएसबीएस) के एक दल ने वायरस के 3सीएल प्रोपर्टीज पर 51 चिकित्सकीय पौधों की जांच की, जो वायरल पॉलीप्रोटीन्स के प्रसंस्करण के लिए आवश्यक है और इसके नतीजे अच्छे साबित हुए. शोध से पता चला कि इस प्रोटीन को देने से वायरस की संख्या बढ़नी रुक सकती है.
आईआईटी दिल्ली के रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डीन एस के खरे ने कहा ,‘‘भारतीय हर्बल और औषधीय पौधों में कई रोगों से निपटने में कारगर जैव सक्रिय तत्वों का विशाल भंडार है. इस संदर्भ में कोविड-19 से जुड़ी स्थितियों ( कोरोना वायरस संक्रमण ) में चाय के राहत पहुंचाने की बात सामने आई है.’’
पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने चाय और हरीतकी के विभिन्न बायोएक्टिव तत्वों की जांच की, और निष्कर्ष निकाला कि गैलोटेनिन 3सीएल प्रो वायरल प्रोटीज को रोकने में प्रमुख रूप से शामिल है ( औषधीय क्षमता ).
प्रोटीज एक प्रकार का एंजाइम होता है जो प्रोटीन्स को छोटे पॉलीपेप्टाइड्स में अथवा एक अमीनो एसिड में विघटित कर देता है.
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