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Anapanasati Meditation: क्या है आनापानसति ध्यान विधि

Anapanasati Meditation: क्या है आनापानसति ध्यान विधि

आनापानसति ध्यान की विधि मन को शान्‍त करने का सबसे सरल माध्‍यम है. इस ध्यान का अभ्यास करना बहुत सरल है. कोई भी सीधे ही आनापानसति ध्यान का अभ्यास आरम्भ कर सकता है. इसमे केवल उसे अपने सामान्य श्वास – प्रश्वास के प्रति सजग रहना है.

आरम्भ में ध्‍यान की किसी भी क्रिया को करते समय हमारा मन बार बार भटकता है मगर उससे उत्‍तेजित न हो और अपने मन को पुन: वही पर ले आयें ऐसा बार बार होगा मगर परेशान होने की जरूरत नही है यही मनुष्‍य का स्‍वभाव है धीरे धीरे ही मन नियंत्रण में आता है. इस ध्यान के माध्यम से  आपके शरीर के असाध्‍य रोग भी ठीक हो जाते है और ध्‍यान की अन्‍य विधियों की अपेक्षा इससे प्राण शक्ति सबसे शीघ्रता से बढती है.

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आनापानसति का अर्थ

पाली भाषा में, ‘आन’ का अर्थ है श्वास लेना और ‘अपान’ का अर्थ है श्वास छोड़ना. ‘सति’ का अर्थ है ‘के साथ मिल कर रहना’. गौतम बुध्द ने हज़ारों वर्ष पूर्व ध्यान की यह विधि सिखाई थी. श्वांस तो हम सभी लेते हैं परन्तु हम इस क्रिया के प्रति जागरूक नहीं होते. ‘आनापानसति’ में व्यक्ति को अपना पूरा ध्यान और जागरूकता अपनी सामान्य श्वसन – प्रक्रिया पर रखने की आवश्यकता होती है. यह आवश्यक है कि हम सांस पर सजगतापूर्वक अपनी निगाह टिकाकर रखें. श्वांस को किसी भी रूप में रोकना नहीं है हमें अपनी ओर से इसकी गति में किसी भी प्रकार का परिवर्तन लाने का प्रयास नहीं करना है. जब मन इधर उधर भागने लगे तो तुरन्त विचारों पर रोक लगा कर पुनः अपने ध्यान को श्वास की सामान्य लय पर ले आना चाहिए. स्वयं को शिथिल छोड़ कर मात्र प्रेक्षक बन जाना चाहिए. इससे हमारी चेतना का विस्‍तार होता है तथा हमारी जागरूकता बढ जाती है.

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आनापानसति ध्यान की विधि

आलती पालती या सुखासन मे बैठे अब दोनो हाथो की अँगुलियो को आपस मे फँसा लीजिये.  अब आँखें बंद कर शांति से बैठे  रहे. आप को साँस लेने का भी प्रयास नही करना है आपको स्वयं महसूस होगा कि आपकी श्वांस खुद चलेगी आप को बस दृष्टा बन जाना है. जानबूझकर श्वांस लेने छोड़ने के प्रक्रिया न करें इससे आपको मानसिक शांति प्राप्त नहीं होगी.

एक बात गाँठ बाँध लें जब भी विचार भाव बनते है तो हमारी प्राकृतिक श्वांस में बदलाव होता है और  प्राकृतिक श्वांस मे ही शक्ति है और वो हल्की कोमल और लय युक्त होती है.

जब मन विचार शून्य होगा तब काम शुरू होगा ब्रह्मरंध्र का अब कास्मिक ऊर्जा आयेगी जो सिर से शरीर मे उतरेगी और नाड़ी  मंडल शुद्ध करेगी जितना ध्यान उतना ऊर्जा आप प्राप्त करेँगे तो जल्द ही आप को गहरी शांति का अनुभव होगा.

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आनापानसति ध्यान के लाभ

आनापानसति ध्यानी होने के लिए व्यक्ति को किसी आश्रम में जाने की आवश्यकता नहीं होती. न तो ये ध्‍यान करने के लिये किसी निश्चित स्थान पर जाना होता है और न ही अपने उत्तरदायित्वों का त्याग करना होता है. इस ध्‍यान साधना का अभ्‍यास करते हुये हम अपना सामान्य जीवन जी सकते हैं और यह देख सकते हैं कि किस प्रकार ध्यान की शक्ति हमें बदल कर हर क्षेत्र में बेहतर बना देती है. हम कभी भी, कहीं भी, अपनी इच्छा से इसका अभ्यास कर सकते हैं. किसी भी प्रकार की ध्‍यान साधना करने के लिये ये आवश्‍यक है कि हम साफ सफाई से रहे. सादा भोजन करे. हर प्रकार के नशे वैर भाव व फालतू के वाद विवाद से दूर रहे तो सफलता सुनिश्चित है.

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Post By Shweta