विश्व वानिकी दिवस पर वृक्षारोपण का संदेश
ऋषिकेश, 22 मार्च; परमार्थ निकेतन में विश्वप्रसिद्ध शहनाई वादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खान साहब के जन्मदिन के अवसर पर दो सप्ताह से चल रही संगीत साधना का समापन हुआ. परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने बिस्मिल्ला खान साहब को याद करते हुये कहा कि उन्होेने शहनाई के सुरों से पूरी दुनिया में आनन्द और प्रसन्नता बिखेरी है, जादू सा आकर्षण था उनकी शहनाई में. माँ गंगा के परम भक्त बिस्मिल्ला खान साहब गंगा के तट पर बैठ कर घन्टों अभ्यास करते थे. गंगा क प्रेम में उन्होने विदेश में बसने और विदेश से अनेक बार आये शहनाई प्रेमियों के निमंत्रणों कहा विदेश में और सब होगा पर गंगा कहाँ. अद्भुत प्रेम था उनका माँ गंगा के प्रति. उनकी शहनाई सब के लिये बजी इसलिये हमारा आज यही संकल्प हो कि स्वच्छता और समरसता की शहनाई सदैव इस देश में बजती रहे.
हवाई द्वीप अमेरिका से आयी संगीतज्ञ अनन्द्रा जार्ज के मार्गदर्शन में आयोजित संगीत साधना का समापन हुआ. इस संगीत साधना के माध्यम से परमार्थ गंगा तट पर सूर्य उदय के समय अनन्द्रा जार्ज द्वारा मंत्र मुग्ध कर देने वाले संगीत की लहरें प्रवाहित होती थी जिससे देशी और विदेशी सैलानी अत्यंत प्रभावित थे.
आज विश्व वानिकी दिवस पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने स्वच्छता और संगीत चले साथ-साथ का संदेश दिया.
इस अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, ’प्रकृति और प्रसन्नता का समावेश जीवन में बराबर होना चाहिये. हंसने-गाने और गुनगुनाने के साथ प्रकृति का संगीत भी चालू रहे. संगीत सीखे और गाये परन्तु जीवन में ऐसे कार्य करे जिससे प्रकृति का संगीत बंद न होने पाये अगर प्रकृति का संगीत बन्द हो गया तो सब कुछ शुन्य हो जायेंगा. स्वामी जी ने आह्वान किया कि वनों का संरक्षण करें; वन संपदा की ओर ध्यान दें. विश्व में प्रसन्नता बनायें रखने के लिये पेड़ लगाय, पर्यावरण बचायें. उन्होने कहा कि सरकार और समाज ऐसी नीति बनायें जिसमें वनों को काटा न जायें बल्कि लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जायें. वन है तो वायु है और वायु है तो आयु है.’
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने हरित संस्कृति को अपनाने पर जोर देते हुये कहा कि ग्लोबल वार्मिग और वायु प्रदूषण को कम करने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम दो पौधों का रोपण अवश्य करे.
विश्व के विभिन्न देशों से आये संगीत प्रेमियों ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की उपलब्धता हो इसी भाव से पूज्य स्वामी जी महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती जी, सुुश्री नन्दिनी त्रिपाठी जी के साथ मिलकर विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया, साथ ही सभी ने हाथ उठाकर स्वच्छता और संगीत चले साथ-साथ का संकल्प लिया.