Mobile Apps and Religion: The Journey
एप, मोबाइल फोन के लिए कोई नई इजाद नहीं है। फोन पर ऑपरेटिंग सिस्टम के बाद स्क्रीन पर जो भी है वो सब एप से ही चलता है। एप के तीन प्रकार होते हैं – नेटिव, हाइब्रिड और वेब बेस्ड। नेटिव वे जो आपरेटिंग सिस्टम से चलते हैं, हाइब्रिड – जो प्लेटफार्म पर होते हैं और इंटरनेट से चलते हैं और तीसरे जो एचटीएमल या जावा में कोडेड होते हैं और मिनी एप या पेज की तरह कार्य करते हैं।
आज दुनिया के दो सबसे बड़े ऑपरेटिंग सिस्टम – एंड्राएड के प्ले स्टोर और एपल के एप स्टोर में लाखों एप धर्म से जुड़े है, हांलांकि धर्म कहना भी थोड़ी अधिकता होगी क्योंकि ये एप Utilities, Lifestyle, Health and Fitness और Education कैटेगिरी में मिलते हैं। ये धर्म के कंटेंट की एक बड़ी दिक्कत है कि विश्व के बड़े प्लेटफार्म पर ये किसी कैटेगरी में नहीं चिन्हित है – जैसेन तो यूट्यूब पर ही फेसबुक पर।एप के साथ भी ऐसा ही है।
2008 का एक वाक्या सुनाता हूं, लंदन के एक पादरी को दुरहम के एक चर्च से बाहर जाने को कह दिया गया क्योंकि वे अपने मोबाइल फोन पर बाइबिल पढ़ रहे थे, बाद मे इसी चर्च का एप भी आया और मोबाइल के उपयोग की आजादी भी दे दी गई। आज भी भारत के स्वामीनारायण के अक्षरधाम मंदिरो में मोबाइल नहीं ले जाने की पाबंदी है, वृंदावन के बांकेबिहारी में फोटो लेने की मनाही है और कई जगहों पर ऐसे प्रतिबंध है। समय बदल रहा है, और आस्था के लिए माध्यम भी तेजी से विकसित हो रहे हैं। स्वर्ण मंदिर से लेकर वैष्णों देवी और तिरूपति मंदिर के अपने प्लेटफार्म है जहां से पूरी दुनिया से भक्त हर दिन जुड़ते हैं। पर एप की कहानी अलग ही चल रही है।
दुनिया में धर्म के क्षेत्र में जो पहले एप बने वो बाइबिल के ही थे, फिर यहूदियों के तोराह के एप बनें, 2011 में Sefaria नाम के यहूदी धर्म के एक प्रयोग ने दुनिया का ध्यान खींचा। यहूदी धर्म बेहद कड़ा और पुरातनपंथी है, पर गूगल के एक पूर्व कर्मचारी से इसे शुरू किया और आज धर्म की सीख देने की एक मिसाल है। 2008 में Your Version नाम के एप से बाइबिल को एप के जरिए पढ़ने की ललक बढ़ी। आज ये अमेजन एलेक्स और गूगल एसिस्टेंट पर भी है। अब तो बाइबिल लेंस एप ने युवाओं को तेजी से जोड़ा है।
बौद्ध धर्म ने भी एप की तकनीकी से अपने ध्यान की शिक्षा का भरपूर प्रसार किया। 2001 में ही सातोशी ईशी ने मानव और मशीन के बीच ज्ञान के प्रसार की बात को लिखा और उसकी के बाद से मेडिटेशन को संवाद की एक विधा मानकर उसका प्रचार प्रसार किए जाने की पैरवी की गई। Equanimity उन कुछ शुरूआती एप में रहा जिसने एप के जरिए ध्यान से लोगों को जोड़ा। बौद्ध धर्म में जिस दूसरी चीज ने सबको आकर्षित किया वो है माइंडफुलनेस। इसे लेकर भी एप्स की भरमार है।
आज ध्यान–रिलेक्सेसन के सबसे बड़े एप Calm की वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर है। इसी से हवा लेकर अब ध्यान के हजारों एप लॉन्च हो रहे है मसलन– Meditoipa, The Mindfulness App, Headspace, buddhify, Sattva , Stop, Breathe & Think, Insight Timer , 10% Happier. Mobile Apps and Religion कई भारतीय कंपनियां भी इस स्पेस पर नजर लगाए बैठी हैं। मसलन Zomato के कोफांउडर द्वारा ऐसा ही एप शुरू हो चुका है। फ्लिपकार्ट के फाउंडर द्वारा Cult Fit Wellness Center जोर से चल रहे हैं, यहां योग और ध्यान भी सिखाया जा रहा है।
इस्लाम धर्म के एप कुरान और हदीस को फोकस करके लोकप्रिय हैं। Islam 360 नाम के एप ने काफी लोकप्रियता कमाई। हालांकि एनिमेशन, कहानियों के जरिए बच्चों और युवाओं को इस्लाम के परिचित कराने के लिए कई इनोवेशन हुए हैं जो बेहद प्रभावी और रोचक हैं। मसलन, The Seerah App और Noor Quest जो बच्चों को एनिमेशन के जरिए इल्म देता है। Tarjimly, जो रिफ्यूजी क्राइसिस पर बेहतरीन रिसोर्स दे रहा है। Quran Companion भी युवाओं में लोकप्रिय है। और सबसे रोचक है Modanisa, जो इस्लामिक परंपरागत वस्त्रों का फैशन एप है। रमजान को लेकर बहुत सारे एप है।
हिंदू धर्म में एप की शुरू गीता और रामायण के दोहों और श्लोकों को एक जगह देने से हुई मानी जा सकती है। भजनों के एप भी बनें। पर जिस चीज ने सबसे ज्यादा जगह बनाई है वो है योग। योग के एप आज किसी भी प्लेटफार्म पर सबसे बड़ी संख्या में मौजूद है। हां उसे हिंदू मानकर देखना न देखना कंटेंट की पेशकश पर निर्भर करता है। हिंदू धर्म के संतों ने एप को खुद के प्रचार का माध्यम मानकर इसपर वही कंटेंट डाला जो पहले से ही कई जगह मौजूद था। अब कुछ गुरु इसे नए तरीकों से प्रयोग कर रहे हैं। पर अभी भी और धर्मों की तरह यहां न तो पुस्तकों के प्रामाणिक एप है, न मंदिरों–परंपराओं की विस्तृत जानकारी वाले और न ही हिंदू धर्म के अंगों – शास्त्र, ज्ञान, विज्ञान, शोध – वाले लोकमान्य एप हैं। हां ज्योतिष और वास्तु ने व्यापार की शैली में बहुत बड़ा बाजार बना लिया है। Ganesha Speaks, AstroYogi, AstroVeda (Mobile Apps and Religion) आदि मार्केट पर हावी है। रही बात कुछ और फेमस एप की, जैसे ShubhPuja, Epuja वो मंदिरों, धार्मिक स्थानों पर पूजा करवाके लोगों को वर्चुअल अहसास दे रहे हैं। जितना बड़ा देश है, शायद उतनी विवधता अभी मोबाइल पर दिखती नहीं है।
एक शोध के अनुसार एपल के एप स्टोर पर सभी धर्मों के 455 एप्स का विश्लेषण करने पर जो पता चलता है उसके अनुसारल prayer apps, ritual apps, sacred text apps, religious social media apps, self-expression apps, and focus/meditation apps जैसी कैटगरी में इस संख्या में एप मौजूद हैं – Atheist (n = 4), Baha’i (n = 2), Buddhist (n = 64), Christian (n = 51), Christian-Catholic (n = 79), Hindu (n = 60), Interfaith (n = 19), Muslim (n = 107), Jains (n = 4), Jews (n = 90), New Religious Movements (n = 1), Other (n = 1), Pagan (n = 1), Sikh (n = 3), and Wiccan (n = 2). Mobile Apps and Religion
दुनिया आगे ही बढ़ेगी, पीछे तो हम ही जाएंगे, क्योंकि हर आविष्कार से साक्षात्कार के लिए वक्त की और अनुभव की जरूरत होगी. जो वैसे भी हमारे पास कम है। पर मोबाइल पर जो भी होगा, उसका असर हमपर पड़ेगा ही। इसलिए एप हमारी मूल जरूरत के अनुरूप ढ़लते रहेंगे। ये खरीदारी, बिल भुगतान, सफर और आस्था के रास्ते में पुल बनकर मौजूद है। अब देखना है कि हम किन–किन एप के साथ कितनी दूर तक चलते हैं।
- लेखक भव्य श्री एक पत्रकार है जो सालों से धर्म कवर कर रहे हैं। ईमेल – bhavyasri@outlook.com