सितागू इण्टरनेशनल बुद्धिस्ट एकेडमी यंगून में डायलाग फार पीस, हारमोनी एवं सुरक्षा’ विषय पर संवाद-∏ का आयोजन
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हिस्सा लिया
पारस्परिक मतभेदों को दूर करने तथा पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का लिया संकल्प
जैसा संसार हम चाहते हैं उस रूप में स्वयं को बदलना ही सकारात्मक परिवर्तन का आधार स्तंभ – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 9 अगस्त; सितागू इण्टरनेशनल बुद्धिस्ट एकेडमी यंगून में विवेकानन्द इण्टरनेशलन फाउण्डेशन, दिल्ली, टोकियो फाउण्डेशन टोकियो एवं इण्टरनेशलन बुद्धिस्ट कानफेडेरेशन द्वारा ’डायलाग फार पीस, हारमोनी एवं सुरक्षा’ विषय पर संवाद-II का आयोजन किया गया. इस शिखर सम्मेलन में भारत सहित विश्व के विभिन्न धर्मों के धर्मगुरू एवं प्रसिद्ध हस्तियों ने भाग लिया.
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इस शिखर सम्मेलन में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सहभाग किया. साथ ही पूज्य स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती जी महाराज, पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज, जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर, पूज्य माधव प्रिय दास जी महाराज, स्वामी नारायण गुरूकुल, सईद सलमान चिस्ती, प्रमुख चिश्ती फाउण्डेशन एवं दरगाह अजमेर शरीफ, पूज्य स्वामी मित्रानन्द जी, चिन्मय मिशन भारत, वेन डाॅ धम्मसमय, प्रमुख इण्टरनेशनल बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय म्यांमार एवं अनेक पूज्य आध्यात्मिक गुरूओं ने सहभाग किया.
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इस सम्मेलन में भारत, श्रीलंका, जापान, थाईलैण्ड, नेपाल, मेक्सिको, कंबोडिया, वियतनाम, यू एस ए, जर्मनी, मंगोलिया एवं विश्व के अनेक देशों से हिन्दू, बुद्ध, सिक्ख, इस्लाम, जैन, ईसाई एवं विभिन्न धर्मों के धर्मगुरू, मतावलम्बी एवं गणमाण्य अतिथियों ने भाग लिया तथा सभी प्रसिद्ध वक्ताओं ने विश्व शान्ति एवं पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किये. भारत के यशस्वी एवं ऊर्जावान प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी से प्रेरित होकर इस ’डायलाग फार पीस, हारमोनी एवं सुरक्षा’ विषय पर आयोजित संवाद में उपस्थित सभी हस्तियों ने बुद्ध सम्मेलन में सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’श्रद्धेय धर्मगुरू, उपस्थित अतिथिगण, मेरे प्यारे भाईयों एंव बहनों! मैं विवेकानन्द इण्टरनेशलन फाउण्डेशन, दिल्ली, टोकियो फाउण्डेशन टोकियो एवं इण्टरनेशलन बुद्धिस्ट कानफेडेरेशन को ’डायलाग फार पीस, हारमोनी एवं सुरक्षा’ विषय पर संवाद-II आयोजित करने के लिये बधाई देता हूँ. इस परिचर्चा से पारस्परिक मतभेदों को दूर करने तथा पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिये उठाये जाने वाले वैश्विक कदमों को प्रोत्साहन मिलेगा.
हिन्दू धर्म की मुख्य शिक्षा, वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात सारा विश्व एक परिवार पर आधारित है. परिवार की धारणा में न केवल मानव बल्कि समस्त प्राणिवर्ग सम्मलित है. ईशा उपनिषद में कहा गया है कि ईश्वर सर्वव्यापी व सर्वशक्तिमान ही नहीं अपितु समस्त कृतियों में व्याप्त है. कण-कण में व्याप्त है. इस प्रकार हिन्दू संस्कृति केवल सहिष्णुता की नहीं अपितु स्वीकारिता की भी है. यह विविधता में एकता का उत्सव है.
इसका तात्पर्य है हम अपनों की तो पूजा करते है साथ ही सभी को समान रूप से सम्मान भी देते है. सभी के अच्छे विचारों को हम स्वीकार करते है. यही दो बातें अन्तरधार्मिक संवाद के मुख्य आधार हैं जिनकी मदद से शान्तिपूर्ण एवं सतत विकास युक्त विश्व का निर्माण किया जा सकेगा.
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हमारी संस्कृति में सदैव संवाद को बढ़ावा दिया है और मैं कहना चाहता हूँ कि संवाद और संवेदना में गहरा सम्बन्ध है. संवाद से हमारे बीच विद्यमान भ्रामक सीमाओं को तोड़ने में मदद मिलती है इससे पता चलता है कि बहुत कुछ चीजे है. जो हमें आपस में अलग करने के बजाय एक सूत्र में बांधती हैं. जब संवाद का ऐसा विस्तार हो जाता है तब दूसरों के प्रति संवेदना का हमें अनुभव होने लगता है. तब हमारा हृदय करूणा और प्रेम से भर जाता है. अलगाव व दुराव का भाव मिट जाता है.
आज हम संकल्प ले कि संवाद को कार्यरूप में परिणित करने के लिये प्रतिबद्ध होंगे. हमें अपने आसपास के समाज में सकारात्मक बदलाव के लिये ठोस कदम उठाने का संकल्प लेना होगा. जैसा संसार हम चाहते हैं उस रूप में स्वयं को बदलने का संकल्प लें.
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मैं अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुये जीवा के माध्यम से विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं के साथ मिलकर सभी के लिये वाटर, सैनिटेशन एवं हाईजीन की उपयुक्त व्यवस्था करने हेतु कार्य करने का संकल्प लेता हूँ, हम वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज की मदद से समुदाय के लोंगो को जागरूक करेंगे. गंगा एक्शन परिवार की मदद से जल स्रोतों को संरक्षित करने का कार्य करेंगे. जो कि भविष्य के लिये नितांत आवश्यक है. वृक्षारोपण, जल संरक्षण, नदियों के प्राकृतिक अधिकार के लिये लोगों को शिक्षित करेंगे. लोंगो को स्वयं प्रदूषण का समाधान बनाने हेतु प्रेरित करेंगे. डिवाइन शक्ति फाउण्डेशन के द्वारा नारित्व को उसके स्वाभाविक रूप में विकास हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा. नारी को शक्ति व प्रकृति के रूप में विकसित करने हेतु मदद की जायेंगी. नारित्व का प्रकृति में मातृत्वरूपी गहरा सम्बन्ध है. एक के संरक्षण से दूसरों को संरक्षण प्राप्त हो जाता है. इस प्रकार नारी को बदलाव का अग्रदूत बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा.’
उपस्थित सभी आध्यात्मिक गुरूओं एवं अतिथियों ने म्यांमार की प्राचीन राजधानी बगान की चार्टड फ्लाइट द्वारा एक दिवसीय यात्रा में भाग लिया. तत्पश्चात पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के साथ विश्व के विभिन्न देशों से पधारे अतिथियों ने विश्व शान्ति एवं पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया.
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