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देश में आस्था और विश्वास की नई मिसाल कायम हुई है। कई परंपराएं खास होती है। उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में बने नागचंद्रेश्वर मंदिर की एक परंपरा ने कल सबको जोड़ दिया। केवल रिलीजन वर्ल्ड के फेसबुक पेज पर इसे 55, 000 लोगों ने लाइव देखा। ये परंपरा है साल में एक बार मंदिर के द्वार खुलने और एक खास पूजा होने की। श्रावण महीने की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है नागपंचमी, और इसी से जुड़ी है एक अति विशेष मान्यता।
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नागपंचमी के दिन साल में एक बार उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के द्वार खुलते हैें, साल में केवल एक बार। अंदर विराजे नागराज तक्षक की खास पूजा होती है। रिलिजन वर्ल्ड ने इसे खास तौर पर नागपंचमी के दिन लाइव किया, लाखों लोगों तक इसकी गूंज हुई।
आइए आपको दिखाते हैं कि कल रात कैसे उज्जैन के महाकाल में शयन आरती के बाद नागचंद्रेश्वर मंदिर में हुई साल में एक बार होने वाली पूजा अर्चना-
रात 12 बजे नाग चंद्रेश्वर मंदिर के बाहर का दृश्य…
नाग चंद्रेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी आते हुए…
नाग चंद्रेश्वर के पट खोलने के दृश्य पहली बार देखिए….
नाग चंद्रेश्वर मंदिर में घुसने के लिए भक्त आतुर…
नाग चंद्रेश्वर मंदिर में पूजा शुरू, साल में एक बार होने वाली पूजा…
देखिए नाग चंद्रेश्वर भगवान की खास पूजा, अब अगले साल होगी ये पूजा….
नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट (दरवाजे) वर्ष मेंं एक बार 24 घंटे के लिए नागपंचमी पर खुलते हैं।
इस बार पट 27 जुलाई 2017 (गुरुवार) को आधी रात यानी 12 बजे खुलें। नागचंदे्रश्वर का मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर स्थित है।
इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा स्थापित है। एक प्रतिमा में नाग के फन पर शंकर पार्वती विराजमान हैं और इस प्रतिमा के दर्शन के बाद ही नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन होते हैं।
मान्यता है कि नागपंचमी के मौके पर इस मंदिर के दर्शन से कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है, क्योंकि खुद नागदेवता इस दिन मंदिर में आते हैं।
इन्हें भगवान का आभूषण माना गया है। यूं तो भारत में नागों के कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें से एक उज्जैन के नागचंद्रेश्वर की कहानी अद्भुत है।
उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर के तीसरी मंजिल पर स्तिथ इस मंद्दिर कि खासियत यह है कि ये मंदिर साल में बस एक दिन और वो भी नागपंचमी 27 जुलाई 2017(गुरुवार की अर्ध रात्रि) (श्रावण शुक्ल पंचमी) को ही खुलता है।
उसी दिन इस मंदिर में भक्तों को नागदेवता के दर्शन हो पाते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन नागराज खुद मंदिर में मौजूद रहते हैं।
उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का मंदिर, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है जो कि इस वर्ष 28 जुलाई 2017, शुक्रवार को है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं।
कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं।
मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और माँ पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। कहा जाता है इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।
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