नवरात्रि पर्व भीतर की यात्रा का पर्व
ऋषिकेश, 17 अक्टूबर। नवरात्रि के पावन पर्व पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि नवरात्रि का पर्व शक्ति के जागरण का पर्व है। परमार्थ निकेतन में परमार्थ परिवार के सदस्यों और ऋषिकुमारों ने सोशल डिसटेंसिंग का गंभीरता से पालन करते हुये माँ शैलपुत्री का पूजन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज नवरात्रि के पावन अवसर पर दिये अपने संदेश में कहा कि ’’नवरात्रि पर्व भीतर की यात्रा का पर्व है, हमारे भीतर भी एक रात्रि है, जो कई बार हमें दिखती नहीं है। हमारे भीतर केवल एक रात्रि नहीं बल्कि रात्रि ही रात्रि है। रात्रि से तात्पर्य अन्धकार, दिवस का मतलब प्रकाश से है। नवरात्रि का पर्व भीतर के अन्धकार से भीतर के प्रकाश की ओर बढ़ने का पर्व है।
दुर्गा सप्तशती के दिव्य मंत्र
दुर्गा सप्तशती में बहुत ही दिव्य मंत्र हैं उन्हें हमें इस नौ दिवसीय यात्रा में स्मरण करना होगा। नौ दिन के नौ अक्षरों में नवार्ण मंत्र के माध्यम से हम अपनी भीतर की शक्ति को पहचानें। बाहर शक्ति का पूजन और भीतर शक्ति का दर्शन। नवरात्रि का पर्व शक्ति का पर्व, आत्म निरीक्षण का पर्व और भीतर की यात्रा का पर्व है।’’
स्वामी जी ने बताया कि मार्कण्डेय पुराण में देवी महात्म्य और देवी सप्तशती में माँ की महिमा एवं माँ दुर्गा द्वारा संहार किए गए ’राक्षस’का वर्णन मिलता है। वर्तमान समय में हमें शुंभ निशंभ जैसे प्राणी तो नहीं मिलेगे परन्तु उनसे भी विशाल अवगुण कई बार हमारे अपने स्वभाव में होते हैं जिसे हम देख नहीं पाते और कई बार इसे स्वीकार भी नहीं करते।
इन नौ दिनों में आत्मावलोकन करें कि हमारे स्वभाव में कौन से अवगुण और बुराईयां है। मानव स्वभाव में व्याप्त ईगो (अंहं) को जिनका प्रतिनिधित्व राक्षसों से जोडा गया है। ’’मेरा’’ का इस भाव को नष्ट करना कठिन हैं पर नामुकिन नहीं इसलिये आईये नौ दिनों तक साधना, स्वाध्याय, सेवा और समर्पण के माध्यम से अपने अन्दर व्याप्त अवगुणों का अवलोकन करें और उससे बाहर निकलने का प्रयत्न करें।
नवरात्रि का पर्व शक्ति का पर्व, आत्म निरीक्षण का पर्व और भीतर की यात्रा का पर्व – स्वामी चिदानन्द सरवती
नवरात्रि के प्रथम दिवस आज शनिवार से आरम्भ हो रहा है जो, ऑरेंज (नारंगी) रंग का प्रतीक है। नवरात्रि पर्व उज्ज्वलता और जीवंतता के प्रतीक के साथ शुरू हो रहा है। नारंगी रंग ऊर्जा, प्रसन्नता और खुशी का प्रतीक है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
आज हम माता ने संहार किये दानव (असुर) शुम्भ, जो कि, ’’मैं या आधिपत्य’’ की भावना का प्रतिनिधित्व करता है, ’’मैं और अधिपत्य’’ की भावना हम सब में व्याप्त है उसे हटाकर, उस अहंकार का परित्याग करें। नवरात्रि के प्रथम दिन आत्म निरीक्षण करें और निर्मलता को धारण करें।
वास्तव में ’’मैं’’ का सम्बंध आत्मविश्वास से है, ‘स्व’ या ’’सेल्फ’’ की अवधारणा से है।
अगर व्यक्ति की अपने बारे में राय अत्यंत सकारात्मक होगी तो वह आत्मविश्वास से भरपूर रहेगा। हमें आत्मविश्वास से भरा रहना है न की अहंकार से। आईये संकल्प लें कि हम ’’मैं’’ रूपी अहंकार से बाहर निकालकर ’’मैं’’ रूपी आत्मविश्वास के साथ जीवन में आगे बढेंगे।
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