नवरात्रि के चौथे दिन की देवी: माँ कुष्मांडा के रूप और महत्व को जानें
देवी कुष्मांडा का रूप और स्वरूप:
माँ कुशमाण्डा का रूप अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली है। उन्हें सप्ताश्वर (सात घोड़ों वाली रथ) पर सवार दिखाया जाता है और उनके हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र होते हैं, जिनसे वे दुष्टों का संहार करती हैं। उनका चेहरा सौम्य और आभायुक्त है, जो संसार में संतुलन और सौम्यता का प्रतीक है।
देवी कुष्मांडा का महत्व:
सृष्टि की जननी: कुष्मांडा देवी को ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली देवी माना जाता है। उन्हें ब्रह्माण्ड के अंडे के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि उन्होंने ही संसार की रचना की।
दुष्टों का संहार: कुष्मांडा देवी अपने हाथों में विशेष अस्त्रों से दुष्टों और राक्षसों का संहार करती हैं और संसार को शांति का आशीर्वाद देती हैं। वे शत्रुओं को हराकर भक्तों की रक्षा करती हैं।
आध्यात्मिक ऊर्जा: देवी कुष्मांडा की पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है, जो उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाती है। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो मानसिक और शारीरिक तनाव से गुजर रहे होते हैं।
आयु और स्वास्थ्य: देवी कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। यह पूजा जीवन में नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता लाने में सहायक होती है।
पूजा विधि:
व्रत रखने वाले भक्त इस दिन विशेष रूप से आहार में सात्विक भोजन का सेवन करते हैं, जैसे फल, मेवा, और दूध।
माँ के मंत्र का जाप किया जाता है, जैसे –
“ऊं कुष्माण्डायै नम:”
भक्त कुष्मांडा देवी की पूजा और आराधना में फल और पुष्प चढ़ाते हैं।
इस दिन विशेष रूप से माँ दुर्गा की आरती और कुष्मांडा देवी का स्तोत्र पढ़ने का महत्व है।
देवी कुष्मांडा की विशेषता:
शक्ति और संजीवनी: देवी कुष्मांडा की पूजा से जीवन में नई ऊर्जा और ताकत का संचार होता है। यह शक्ति मानसिक और शारीरिक दोनों ही दृष्टियों से होती है।
माँ का वाहन: देवी कुष्मांडा की सवारी सिंह होती है, जो साहस और बल का प्रतीक है।
विविध रूप: देवी कुष्मांडा का यह रूप विशेष रूप से नवदुर्गा के चार दिनों में पूजा जाता है, जो भक्तों को रक्षात्मक शक्ति और आशीर्वाद प्रदान करता है।
कुष्मांडा देवी के मंत्र:
“ॐ देवी कुष्माण्डायै नमः”
“ॐ क्लीं कुष्माण्डायै नमः”
कथा:
कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड की सृष्टि की, तब पहले केवल अंधकार था। तब माँ कुष्मांडा ने अपना तेज और शक्ति फैलाई, जिससे ब्रह्मांड में प्रकाश हुआ। उनका दिव्य प्रकाश पूरे ब्रह्मांड को रौशन करता है और हर जीव को जीवन की शक्ति प्रदान करता है।
माँ कुष्मांडा की पूजा से जीवन में ऊर्जा, साहस और शांति का अनुभव होता है। इस दिन भक्त विशेष रूप से अपने सभी दुखों से मुक्ति की कामना करते हैं और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो