“माता की बाड़ी” से बचाएंगे गायत्री परिवार के कार्यकर्ता विलुप्त हो रही प्रजातियों के पौधे
- पर्यावरण के लिए नवाचार : माता की बाड़ी से बचाएंगे विलुप्त हो रही प्रजातियों के पौधे, हरियाली को देंगे बढ़ावा
बुरहानपुर। पौधों को रोपने और पूरी जिम्मेदारी के साथ इन्हें पल्लवित कर पेड़ बनाने की जिम्मेदारी काे अब पूरी तरह से धार्मिक भावना से जोड़कर पर्यावरण का महत्व समझाया जाएगा। ऐसा ही एक नया प्रयोग बुरहानपुर जिले में होगा। इसके तहत इस सावन माह में शिव भक्ति के साथ ही घर-घर में माता की बाड़ी तैयार की जाएगी। इस माता की बाड़ी में विविध वैरायटी के पौधों को लगाएंगे। खासकर विलुप्त हो रही प्रजातियों के पौधों को भी इस बाड़ी में तैयार कर पेड़ बनाएंगे। तीन साल तक पूरी देखरेख के बाद माता की बाड़ी में पौधे से तीन साल के पेड़ बनने वाले इन वृक्षों को जंगल, सतपुड़ा की वादियों और नर्सरियों में उचित स्थानों पर लगाया जाएगा ताकि हरियाली को बढ़ावा मिले।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में यह प्रयोग होगा। गायत्री परिवार के सदस्य व पर्यावरणविद मनोज तिवारी एवं डॉ. सचिन पाटील ने बताया कि इस वर्ष 151 घरों में माता की बाड़ी की स्थापना की तैयारी की गई है। 100-100 पौधों की एक बाड़ी रहेगी। फिलहाल खड़कोद के श्रीराम गुरुकुल गोलोक धाम में 3000 पौधों की एक बड़ी माता की बाड़ी तैयार की है। इस बाड़ी से ही पौधे 151 श्रद्धालुओं को देंगे और उन्हें इन्हें तैयार करने के लिए प्रेरित करेंगे। साथ ही पौधों की देख-रेख में उनकी मदद करेंगे।
ये चार वैरायटी के पौधे रहेंगे माता की बाड़ी में
विविध घरों में छोटे-छोटे पौधों की माता भगवती की बाड़ी की स्थापित करेंगे। इसमें चार वैरायटी तय की गई हैं जिनके पौधे लगाए जाएंगे। इनमें फलदार पौधे, पर्यावरण हितैषी विशेष पेड़, धार्मिक महत्व के वृक्ष और विलुप्त प्रजातियों के पौधे। इन पौधों को ध्यान देकर इन पर फोकस करते हुए इनका रोपण, पालन व संरक्षण करेंगे।
गौरतलब है कि 20 साल से पर्यावरण की सेवा में लगे पर्यावरणविद व समाजसेवी मनोज तिवारी गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और इनके मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश में 200 से अधिक पहाड़ियों व खाली। चरागाह मैदानों को गोद लेकर पौधारोपण कराया गया है। अब तक 50 हजार से अधिक पौधे लगवाए गए। बुरहानपुर जिले में छह स्थानों पर छह पहाड़ियों को गोद लेकर करीब 10 हजार पौधे लगवाए। इनमें ग्राम देवहारी, फोपनार, सारोला, देड़तलाई, बोदरली एवं सतपुड़ा की बाल गजानन की पहाड़ी पर पौधारोपण कराया।
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