गोबिंद सिंह लोंगोवाल चुने गए एसजीपीसी के नए अध्यक्ष
अमृतसर, 29 नवम्बर; शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव में गोबिंद सिंह लोंगोवाल को अध्यक्ष चुना गया है. वह प्रो. कृपाल सिंह बंडूगर का स्थान लेंगे. लोंगोवाल शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के विश्वासपात्र माने जाते हैं. चुनाव एस.जी.पी.सी. की आम सभा में हुआ. लोंगोवाल के नाम का प्रस्ताव अकाली दल बादल ने किया जबकि विरोधी पंथक गुट ने अमरीक सिंह शाहकोट का नाम दिया था. लोंगोवाल को 154 मत मिले और अमरीक सिंह मात्र 15 मत हासिल कर सके.
2011 से नहीं हुए हैं एसजीपीसी के चुनाव
2011 से सहजधारियों को वोट का अधिकार न देने को लेकर यह विवाद सर्वोच्च अदालत में रहा, जिसके चलते चुनाव नहीं हो सके. नियमानुसार हरेक वर्ष नवंबर में जरनल इजलास आयोजित किया जाता है. इजलास में अध्यक्ष के साथ साथ कार्यकारिणी के सदस्यों का भी चुनाव होता है. प्रो बडूंगर गत वर्ष नवंबर में ही एस.जी.पी.सी. अध्यक्ष चुने गए थे. बडूंगर भी एस.जी.पी.सी. के नामिनेटेड सदस्य थे.
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कौन है लोंगोवाल
बता दें लोंगोवाल 1985, 1997 व 2002 में धनौला से विधायक रह चुके हैं. बेदाग शख्सियत गोबिन्द सिंह लोंगोवाल का जन्म 18 अक्तूबर 1956 को जिला संगरूर के गांव लोंगोवाल में हुआ और वह एम.ए पंजाबी हैं. संत हरचन्द सिंह लोंगोवाल के राजनीतिक वारिस भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल साल 1985 में पहली बार हलका धनौला से शिरोमणि अकाली के विधायक चुने गए और मार्कफेड पंजाब के चेयरमैन रहे. फिर 1997 से 2002 तक बादल मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री भी रहे . 2002 से 2007 तक फिर विधायक बने और 2015 में हलका धूरी के उपचुनाव जीत कर फिर विधायक बने. भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल साल 2011 में हलका लोंगोवाल जनरल से एस.जी.पी.सी मैंबर बने और आज उन्होंने एस.जी.पी.सी का प्रधान चुना गया.
एस.जी.पी.सी. सिखों की मिनी पार्लियामेंट
एस.जी.पी.सी. सिखों की मिनी पार्लियामेंट मानी जाती है. ऐसे में सभी की नजरें दरबार साहिब परिसर में स्थित इसके मुख्यालय तेजा सिंह समुंदरी हाल में हुए एस.जी.पी.सी. के जनरल इजलास पर टिकी थीं. एस.जी.पी.सी. की स्थापना लंबे संघर्षों के बाद 15 नवंबर 1920 को हुई थी. सिख धर्मिक स्थानों व गुरुद्वारा साहिबों को महंतों के प्रबंधों से छुड़वा कर एस.जी.पी.सी. की मैनेजमेंट के तहत लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है.
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1.48 अरब रुपए का बजट
एस.जी.पी.सी. ने वर्ष 2017-18 के लिए एक अरब, 48 करोड़, 69 लाख रुपए का बजट रखा है जो तीन श्रेणियों में विभाजित है. जनरल बोर्ड फंड 64 करोड़, 50 लाख रखा गया है. ट्रस्ट फंड में 51 करोड़ 29 लाख है, जबकि शिक्षा के लिए 33 करोड़ का बजट है. एसजीपीसी अपने बजट का सबसे अधिक खर्च धर्म प्रचार पर करती है. पिछले पांच वर्षों में यह बजट 50 गुणा से अधिक बढ़ा है.
एसजीपीसी के समक्ष चुनौतियां
- पंथक एकता को हर हाल में कायम रखना.
- सामाजिक कुरीतियों को सिख धर्म से समूल खत्म करना.
- नानकशाही कैलेंडर विवाद को हल करना.
- सिख कौम में से जात-पात को खत्म करना.
- डेरा वाद को खत्म करना.
- सिखों में साबत स्वरूप को धारण करवाना.
- सिख परिवारों के बच्चों में केस कटवाने के बढ़ रहे रुझान को बंद करवाना.
- धर्म प्रचार को घर-घर तक पहुंचाना.
- पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विशाल लहर पैदा करके इसको जन-जन की लहर बनाना.
- भ्रूण हत्या के खिलाफ जन आंदोलन.
- ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान श्री हरिमंदिर साहिब का जो सामान सेना अपने साथ ले गई थी उसको वापस लाना.
- देहधारी गुरू परंपरा को समाप्त करवाना.
- श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हुई बेअदबी के आरोपियों के चेहरे बेनकाब करवाना.
- गुरूद्वारा साहिबों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब समेत विभिन्न धार्मिक पुस्तकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करवाना.
- सभी सिखों को अमृतपान करवाना.