अयोध्या विवाद: 8 फरवरी को अगली सुनवाई,ये रही दोनों पक्षों की दलील
नयी दिल्ली, 5 दिसम्बर; अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी. मंगलवार को हुई सुनवाई में दोनों पक्षों के वकीलों ने चीफ जस्टिस के सामने अपनी बात रखी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा है कि सुनवाई 8 फरवरी के बाद नहीं टलेगी.
बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की तीन जजों वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने की सुनवाई को 2019 तक टालने की अपील की है साथ ही मांग की है कि 7 बेंच वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करे.
सुप्रीम कोर्ट में चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.
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सुनवाई के दौरान कोर्ट में पक्षों ने क्या दी दलील?
- सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने की सुनवाई को 2019 तक टालने की अपील
- सिब्बल ने कहा, मामले से प्रभावित हो सकते हैं 2019 के आम चुनाव.
- सिब्बल की सलील कि एनडीए के एजेंडे में है राम मंदिर मुद्दा.
- सिब्बल ने पांच जजों की बेंच से सुनवाई की मांग की, कहा- अभी बहस पूरी नहीं हुई है, रिकॉर्ड में दस्तावेज भी पूरे नहीं हैं
- मुस्लिमों के वकील राजीव धवन ने कहा, रोज सुनवाई हुई तो एक साल में पूरी हो पाएगी सुनवाई
- राजीव धवन और कपिल सिब्बल ने दी बहिष्कार की धमकी
- मुस्लिम पक्षकारों और वकील कपिल सिब्बल ने किया सुनवाई का विरोध
विवादित जगह पर सार्वजनिक इमारत बनाए जाने की अपील
सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई शुरू होने से पहले इस मुद्दे पर एक और याचिका दायर की गई है. इस याचिका में मौजूदा सुनवाई को टालने और विवादित जमीन पर सार्वजनिक इमारत बनाने की अपील की गई है.
सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस के बैनर तले डाली गई इस याचिका में फिल्म मेकर श्याम बेनेगल, जर्नलिस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और ओम थानवी समेत कई अन्य लोगों ने मिलकर डाली है.
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शिया वक्फ बोर्ड ने समाधान के लिए दिया था सुझाव
उत्तर प्रदेश के सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने विवाद के समाधान की पेशकश करते हुए कोर्ट से कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है. हालांकि, शिया वक्फ बोर्ड के इस हस्तक्षेप का अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विरोध किया.
हाल ही में एक दूसरे मानवाधिकार समूह ने इस मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की और इस मुद्दे पर विचार का अनुरोध किया. याचिका में कहा गया कि ये महज संपत्ति का विवाद नहीं है बल्कि इसके कई दूसरे पहलू भी हैं जिनका देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने पर दूरगामी असर पड़ेगा.
योगी सरकार ने दलीलों की कॉपी पेश की
सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देशों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन कागजातों की अंग्रेजी कॉपी पेश कर दी है, जिन्हें वो अपनी दलीलों का आधार बना सकती है. ये दस्तावेज आठ अलग-अलग भाषाओं में हैं.
भगवान राम लला की ओर से सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन और एडवोकेट सौरभ शमशेरी पेश होंगे. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक्स्ट्रा सालिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश होंगे.
अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, अनूप जार्ज चौधरी, राजीव धवन और सुशील जैन करेंगे.
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11 अगस्त को हुई आखिरी बार सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 11 अगस्त की सुनवाई में यूपी सरकार से कहा था कि दस हफ्तों के भीतर हाई कोर्ट में मालिकाना हक संबंधी विवाद में दर्ज तथ्यों का ट्रांसलेशन पूरा किया जाए. कोर्ट ने साफ किया था कि वो इस मामले को दीवानी अपीलों से इतर कोई दूसरी शक्ल लेने की अनुमति नहीं देगा.
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