बरेली, 11 जून; उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित एक मंदिर में अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर पर आपत्ति जताए जाने के बाद, अब बरेली में दरगाह आला हजरत में इसका विरोध किया जा रहा है।
यहां अपने अनुयायियों व मस्जिद के प्रमुखों को अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी गई है।दरगाह आला हजरत में सुन्नी मरकज दारुल इफ्ता के मुफ्ती नश्तर फारूकी ने बुधवार को कहा कि इस्लाम में शराब पर पाबंदी है।
मुसलमानों को अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर का उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि परिसर में सफाई के लिए अल्कोहॉल-बेस्ड सैनिटाइजर का उपयोग किया जाता है, तो इससे मस्जिद नापाक हो जाएगी।
‘नापाक जगह पर नहीं हो सकती नमाज’
उन्होंने कहा, हम अल्लाह के घर को नापाक नहीं बना सकते। नमाज किसी नापाक जगह पर अदा नहीं की जा सकती। यदि मस्जिद को जानबूझकर नापाक किया जाता है, तो यह गुनाह होगा।
उन्होंने कहा, ‘मैंने मस्जिदों और मस्जिदों की समितियों के इमामों से अपील की है कि वे अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर का उपयोग करने से परहेज करें।’
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क्या है विकल्प
मुफ्ती ने अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर का एक विकल्प भी दिया है। उन्होंने कहा, ‘अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर का उपयोग करने के बजाय मुसलमानों को अपने हाथों और मस्जिद परिसर की सफाई साबुन, डिटर्जेंट पाउडर और शैम्पू से करनी चाहिए।’
पहला नहीं है मामला
हालांकि धार्मिक स्थलों में अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर के उपयोग पर विरोध जताने का यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले मथुरा के कुछ प्रमुख मंदिरों के पुजारी इसके इस्तेमाल पर विरोध जता चुके हैं।
मथुरा, वृंदावन के मंदिरों में भी हुआ है विरोध
मथुरा और वृंदावन में इस्कॉन, बांके बिहारी, मुकुट मुखारविंद और श्री रंग नाथ जी सहित कुछ प्रमुख मंदिरों ने सोमवार से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के द्वार को नहीं खोलने का फैसला लिया और उनके इस निर्णय के पीछे का एक कारण यही अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर है, जिसका परिसर में इस्तेमाल सरकार ने अनिवार्य कर दिया है।
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