गंगा दर्शन एवं परमार्थ गंगा आरती कर अभिभूत हुये प्रवासी भारतीय
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने प्रवासी भारतीय दल को रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट
- मातृभूमि और मातृभाषा से जुड़े रहने का दिया संदेश
- भारतीय भाषा, भारतीयता की पहचान-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 19 मई। विश्व के 15 से अधिक देशों से आये प्रवासी भारतीयों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता विश्व के अनेक देशों से आये प्रवासी भारतीयों ने परमार्थ गंगा आरती में किया सहभागएवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर आशीर्वाद लिया। तत्पश्चात दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में सहभाग किया।
प्रवासी भारतीयों के दल में दुबई, बैंकाक, अमेरिका, इंग्लैण्ड़, अबू धाबी व दुनिया के अन्य देशों के सैलानियों परमार्थ निकेतन आये। वे परमार्थ तट पर माँ गंगा की दिव्यता देखकर अभिभूत हुये।
स्वामी जी महाराज ने दल के सदस्यों से माँ गंगा की निर्मलता और अविरलता, भारत स्वच्छता अभियान, संस्कृत का व्यापक विस्तार, युवा पीढ़ी में नैतिक आचरण के सुदृढ़ीकरण, वैश्विक शान्ति तथा प्राचीन संस्कारों, परम्पराओं और सभ्यता को युवा पीढ़ी में स्थानांतरित करने जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों, मातृभाषा और मातृभूमि से जुड़े रहने का सन्देश दिया और कहा, ’’भारतीय भाषा, भारतीयता की पहचान’’ है। उन्होने कहा कि आप कहीं भी निवास करेेें परन्तु आपने हृदय में हमेशा भारतीयता समाहित करके रखना; देशभक्ति, आध्यात्मिकता और वसुधैव कुटुम्बकम् की मशाल के वाहक बने रहना।’’
स्वामी जी महाराज ने प्रवासी भारतीयों से आह्वान किया कि वे भारत में सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सतत विकास), स्वच्छ जल, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर सार्वभौमिक पहंुच बनाने के लिये सहयोग प्रदान करे। उन्होने कहा कि भारत के पास वर्तमान समय में ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी है उनकी सकारात्मक ऊर्जा के साथ अपने कौशल को भी लगायें तो भारत में विलक्षण परिवर्तन सम्भव है।
दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर गंगा स्नान और गंगा आरती का आनन्द लिया। उन्होने पूज्य स्वामी जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी से आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की तथा अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
प्रवासी भारतीय दल के सदस्यों ने कहा कि हमने संचार साधनों के माध्यम से गंगा में बढ़ते प्रदूषण के विषय में सुना था परन्तु परमार्थ गंगा तट पर आकर जो आत्मिक शान्ति का अनुभव हुआ उससे हृदय अभिभूत हो उठा। गंगा की लहरों ने हमें जो शान्ति प्रदान की वह भारत के अलावा और कहीं भी नहीं मिल सकती। उन्होने कहा कि गुरू, गंगा और योग भारत की पहचान है जो भारत को और भी महान बनाती है।
स्वामी जी महाराज ने दल के सदस्यों को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। विश्व स्तर पर स्वच्छ जल, स्वच्छता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना से पूज्य स्वामी जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी जी, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और आचार्यो के साथ विश्व ग्लेाब का जलाभिषेक किया। तत्पश्चात सभी ने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।
स्वामी जी महाराज ने प्रवासी भारतीयों के दल को मातृभाषा और मातृभूमि से जुड़े रहने का संकल्प कराया।