- आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, गौर गोपाल दास जी, राज्यपाल महाराष्ट्र श्री भगत सिंह कोश्यारी जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, भारत मित्रा, श्री श्याम जाजू और अन्य दिव्य विभूतियों का पावन सान्निध्य और आशीर्वाद
- योग, ध्यान, सत्संग, साधना, सेवा का अद्भुत संगम उत्तराखण्ड शान्ति का धाम – महामहिम भगत सिंह कोश्यारी
- परमार्थ गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है, आनन्द और शान्ति प्रदान करती है – श्री श्री रविशंकर जी
- योग देता है एकता और एकजुटता का संदेश – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 2 मार्च। परमार्थ निकेतन में स्वर्णीम सूर्य का उदय योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा के कुण्डलिनी योग के साथ हुआ। परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों ने राज्यपाल महाराष्ट्र, श्री भगत सिंह कोश्यारी जी का स्वागत शंख ध्वनि, वेद मंत्रों एवं पुष्प वर्षा से किया।
परमार्थ निकेतन में आज विश्व के 60 देशों से आये योग जिज्ञाासुओं को आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, का दिव्य सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। राज्यपाल महाराष्ट्र श्री भगत सिंह कोश्यारी जी, भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष श्री श्याम जाजू जी, गरिमामय उपस्थिति में योगियों ने योग के साथ जीवन, अध्यात्म, पर्यावरण संरक्षण के विषय में जानकारी प्राप्त की।
आज की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सत्संग श्रृंखला में भारतीय जीवन शैली कोच एवं मोटिवेशनल स्पीकर, गौर गोपाल दास जी, फिल्म कम्पोजर एंड्रयू हेविट, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती जी, आर्गेनिक इण्डिया के प्रमुख भारत मित्रा, योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा और अन्य विश्व विख्यात विभूतियों ने अपने अनुभवों को योगियों के साथ साझा किया।
ध्यान और योग का विशेष अभ्यास सत्र प्रातःकाल योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा द्वारा कुन्डलिनी योग, माइंडफुलनेस, वेलनेस लाइफस्टाइल अमेरिकी विशेषज्ञ, डाॅ ईडन गोल्डमैन द्वारा चिकित्सा विन्यास, ऋषिकेश मूल के चीन से आये प्रख्यात योगाचार्य मोहन भण्डारी द्वारा योगी योगा, योगाचार्य दाना फ्लिन द्वारा सोल स्वेट, संदीप देसाई द्वारा ओरिजिनल चेन स्टाइल टी आई ची, अमेरिकी योगाचार्य एवं संगीतज्ञ आनन्द्रा जार्ज द्वारा सूर्य उदय नाद योग साधना, अमेरिकी योगाचार्य टोमी रोजन द्वारा कुन्डलिनी एक्सप्रेस, योगाचार्य जैनेट एटवुड द्वारा योग आॅफ द मांइड, योगाचार्य जय हरि सिंह द्वारा ’अपने डर का सामना कैसे करें’, योगऋषि विश्वकेतु द्वारा प्राणिक बूस्ट प्राणायाम, गुरूमुख कौर खालसा द्वारा विचारों को शुद्ध करने के पांच आध्यात्मिक नियम, रेकी मास्टर और तत्वमीमांसा शिक्षिका, करेन न्यूमन द्वारा सीक्रेट साउंड स्टेज, माँ ज्ञान सुवेरा द्वारा रेकी लेवल -1, योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी द्वारा योगनिद्रा साथ ही अन्य विश्व विख्यात योगाचार्यो द्वारा योग और ध्यान की विधाओं का अभ्यास कराया गया।
अध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हूँ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के द्वारा शुरू की गयी गंगा आरती और उसके माध्यम से दिये जाने वाले प्रवचन सभी के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने योगियों से कहा कि आप योग के माध्यम से जीवन के उच्च सत्य को जानने की कोशिश करें जो सृष्टि ने हमें प्रदान किया है। योग के माध्यम से आप अपने प्लानेट से जुड़ने की कोशिश करें। आप यहां से लव और एसेन्स ऑफ योग को लेकर जाें। योग कोई फिजिकल अभ्यास नहीं बल्कि पूरे प्लानेट से जुड़ने की एक प्रोसेस है। योग आपको चैलेंज लेने को तैयार करता है। उन्होंने कहा कि बच्चा जब जन्म लेता है तब हर बच्चा योगी होता है और हर योगी भी एक बच्चा है। हम सभी एक परिवार के सदस्य है, वसुधैव कुटुम्बकम् हमारे जीवन का मूल मंत्र है, हम एक दूसरे से जुड़े रहें इसी को जीवन का मंत्र बना लें।
राज्यपाल महाराष्ट्र, महामहिम श्री भगत सिंह कोश्यारी जी ने विश्व के 60 देशों से आये योगियों से कहा कि मैं मूल रूप से उत्तराखण्ड से हूँ इस दिव्य भूमि पर आप सभी का अभिनन्दन है। यह पवित्र भूमि स्विट्जरलैंड जैसी खूबसूरत है और स्पिरिचुअल लैंड भी है। यहां माँ गंगा है, यहां हिमालय है। उत्तराखण्ड शान्ति का धाम है आप सब यहां की दिव्यता, भव्यता और शान्ति को अपने साथ लेकर जाये। उन्होंने कहा कि परमार्थ गंगा तट की गंगा आरती एक नई ऊर्जा देती है आप उसे आत्मसात करें। साथ ही कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के पास प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है आप उसका अवश्य दर्शन करें तथा सेवा और शान्ति के मार्ग पर बढ़ते रहें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि योग, एकता और एकजुटता का संदेश देता है। सभी के साथ दयालुता का व्यवहार करना, पूरे विश्व में शान्ति की स्थापना के लिये प्रार्थना करना ही योग का मर्म है। अपने कल्चर, नेचर और फ्यूचर को सुरक्षित करना ही योगी की धर्म है ’’योगी बने उपयोगी’’। स्वामी जी ने कहा कि धर्म, जाति, भेदभाव और अन्य सारी दीवारों और बंधनों को तोडते हुये पहले एकदूसरे के सहयोगी बनें, मानवता के लिये उपयोगी बनें और फिर योगी बनें।
गौर गोपाल दास जी ने कहा, माँ गंगा के तट और हिमालय की गोद में योग के रास्ते पर चलने का अनुभव अद्भुत होता है। जीवन में योग ’ऑन द मेट’ और ’ऑफ द मेट’ दोनों स्थानों पर होना चाहिये क्योंकि योग की आवश्यकता 99.9 प्रतिशत ऑफ द मेट होती है। हम अपने घर में, कार्यालय में, बाजार में और अन्य स्थानों पर योग का अभ्यास कैसे करें। फिजिकल रूप से नहीं बल्कि विचार, व्यवहार और वाणी से। उन्होने कहा कि हम सभी के फिजिकल रास्ते अलग हो सकते हैं, देश अलग हैं परन्तु आध्यात्मिक रास्ता एक ही है। योग तो परिवर्तन की प्रक्रिया है। यहां से आप योग के वास्तविक मूल्यों को लेकर जायें, सोशल वैल्यू, फिजिकल वैल्यू और स्पिरिचुअल वैल्यू लेकर जायें क्योंकि बाहर परेशान होने के बहुत सारे कारण हैं। योग के माध्यम से शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में स्वस्थ रहना जरूरी है। आप अपने आप को आध्यात्मिक पाॅवर हाउस से जोड़ लें और किसी भी आध्यात्मिक प्रक्रिया को अपनायें चाहे वह मंत्र जप हो, कीर्तन हो, योग हो, ध्यान हो या कुछ और यही जीवन का सहज मार्ग है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, हम सभी को अपने आप से यह प्रश्न करना चाहिये कि हम अपने द्वारा इस सृष्टि को क्या दे सकते है। अब अधिकारों के बारें मे नहीं बल्कि कर्तव्य के बारे में चितंन करने का समय है। उन्होंने कहा कि आप माँ गंगा के तट पर है, माँ गंगा में एक डुबकी लगायें परन्तु वह डुबकी आत्ममंथन की हो जिससे जीवन बेटर और बेहतर होते जायेगा।
विश्व विख्यात योग महापर्व की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 25 से अधिक देशों के 90 से अधिक पूज्य संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हुये हैं। अब तक 60 से अधिक देशों के 950 से अधिक प्रतिभागी सहभाग कर चुके हैैं और लगातार दुनिया के विभिन्न देशों के योग जिज्ञासु इस महोत्सव में सहभाग हेतु पंजीयन करा रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में योग की 150 से अधिक कक्षायें होती है। यह क्रम प्रातः 4ः00 बजे से रात 9ः30 बजे तक एक सप्ताह तक प्रतिदिन चलता है।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है।
विश्व के अनेक देशों से आये योगियों के लिये परमार्थ गंगा आरती सबसे प्रसन्नता देने वाला क्षण होता है जहां पर वे विश्व शान्ति हेतु हवन, कीर्तन और माँ गंगा की दिव्य आरती में मग्न रहते है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष पौधा सभी विशिष्ट अतिथियों को भेंट किया। माँ गंगा आरती के पश्चात सांयकालीन सत्र में कीर्तनियों के दिव्य संगीत से सभी मंत्रमुग्ध हो उठे।
विचार मंथन – स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और श्रीश्री रविशंकर जी ने देश में चल रहे तात्कालिक विषयों पर विचार विमर्श करते हुये कहा कि आज पूरे देश में नागरिकता संशोधन विधेयक और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर भय और संदेह व्याप्त है। स्वामी जी ने कहा कि हम सभी आध्यात्मिक गुरू मिलकर प्रयास करे तो देश में व्याप्त भय को भाव में और हिंसा को अहिंसा में बदल सकते है। उन्होंने कहा कि धर्मगुरूओं द्वारा यह संदेश दिया जायें कि अध्यात्म के मार्ग पर चलते हुये अहिंसा को अपनाकर सारी समस्याओं को हल किया जा सकता है। धर्मगुरू ही जनमानस में व्याप्त भय और अविश्वास को दूर कर सकते है। मुझे लगता है सभी धर्मगुरू एक साथ आकर इस पर कार्य करें तो अवश्य ही विलक्षण परिणाम प्राप्त होंगे।
उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी जी और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के मध्य उत्तराखंड राज्य के पर्यटक स्थलों को योग और ध्यान के केन्द्र के रूप में विकसित करने है हेतु विस्तृत चर्चा हुई। स्वामी जी ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में आपने उत्तराखण्ड का कुशलता से नेतृत्व किया। आपने अपनी दृष्टि, दिशा और प्रतिबद्धता से उत्तराखण्ड राज्य को समृद्धि और स्थिरता के शिखर तक पहुंचाया और एक दिव्य राज्य के रूप में स्थापित करने का अद्भुत कार्य किया। आगे भी अपने अनुभवों के माध्यम से इस दिव्य राज्य को और दिव्य और भव्य बनाया जा सकता है।
परमार्थ का विविध कलाओं से समृद्ध साप्ताहिक मंच
इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आध्यात्मिक व्याख्यान श्रंखला में विश्व प्रसिद्ध विभूतियाँ श्री श्री रविशंकर जी, योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज, स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, डाॅ प्रणव पण्ड्या जी, आचार्य बालकृष्ण जी, गौर गोपाल दास जी अन्य दिव्य आत्माओं का पावन सान्निध्य।
विश्व विख्यात सूफी गायक, कैलास खेर अपने कैलाशा बैंड के साथ प्रेरणादायक संगीत प्रस्तुत करेंगे। प्रख्यात ड्रम एवं ताल वादक शिवमणि और रूना रिज़वी, मंत्रमुग्ध करने वाला संगीत प्रस्तुत करेंगे, ’प्रेम से परमानंद की यात्रा’ कीर्तनियों का आत्मा को छूने वाला कीर्तन, इज़रायल से विशेष रूप से आये संगीतकार गिल राॅन शामा का हिब्रु और हिन्दी भाषा के सम्मिश्रण वाला अद्भुत संगीत साथ ही अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगीतकारों और कलाकारों से सुशोभित होगा परमार्थ निकेतन कलामंच।
The World of Cultural Evening: ए इवनिंग ऑफ़ कल्चरल साॅग, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों द्वारा डांस एंड थिएटर परफाॅरमेंस, सूफी डांस मर्ट गुलर की टीम के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है।
योग की कक्षायें प्रातः 4ः00 बजे से रात 9ः30 बजे तक सम्पन्न हो रही, जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, अयंगार योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, कर्मयोग, गंगा योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सेमैटिक योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त ध्यान, मुद्रा, वैदिक मंत्र, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, सांउड हीलिंग, रेकी, दर्शन, होम्योपैथी चिकित्सा तथा अनेक कार्यशालाएं, नाटक प्रदर्शन, व्याख्यान, प्रवचन तथा इंटरैक्टिव सत्रों का आयोजन किया गया। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद, जिज्ञासा समाधान एवं प्रश्नोŸारी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में किया जा रहा है। प्राचीन भारतीय दर्शन, वेदान्त, मानव सशक्तिकरण, प्रेरक नृत्य, संगीत, तनाव नियंत्रण कार्यशाला, आहार विशेषज्ञ के साथ चर्चा जैसे अनेक सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।
31 वाँ अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में देशों के योगियों की सहभागिता – भारत, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल, पोलैंड, मैक्सिको, बेल्जियम, अमेरिका, कोलम्बिया, नीदरलैण्ड, पेरू, अर्जेन्टीना, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इटली, नार्वे, जर्मनी, तिब्बत, भूटान, रूस, इजरायल, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, स्वीडन, हांगकाग, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, बहरीन, अफगानिस्तान, अफ्रीका, सिंगापुर, ताईबान, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, यमन, पेलस्टाईन, सिंगापुर, ताईबान, बैंकाक, नामीबिया, इक्वाडोर, कोलम्बिया, ग्वाटेमाला, आॅस्ट्रिया, क्यूबा, चिले, थाईलैण्ड, तुर्की, ब्रिटेन, दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के विभिन्न देेशों के योग जिज्ञासु सहभाग कर चुके हैं।