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आध्यात्मिक गुरू दादा वासवानी जी को परमार्थ गंगा तट पर दी श्रद्धांजलि

आध्यात्मिक गुरू दादा वासवानी जी को परमार्थ गंगा तट पर दी श्रद्धांजलि

  • प्रेम और मुक्ति, हर जगह मेरा घर और हर प्राणी मेरा रिश्तेदार, जीवों के प्रति संवेदनशील जैसे अनेक विषयों पूरे विश्व का किया मार्गदर्शन
  • दादा वासवानी जी के रूप में आज भारत ने प्रेम और जीव दया के मसीहा को खो दिया
  • करूणा, दया, सत्य, प्रेम और पूर्णता का एक अवतार हम सब के बीच से चल बसा – पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी

भारत के आध्यात्मिक जगत का एक प्रमुख सितारा दादा वासवानी जी पंचतत्व में हुये विलीन। 2 अगस्त 2018 को सौ वर्षो का जीवन काल पूर्ण करने से पहले आध्यात्मिक गुरू दादा वासवानी जी पंचतत्व में विलीन हो गये परन्तु संत तो हमेशा ही पूर्ण होते है परमार्थ गंगा तट पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, आचार्य एवं परमार्थ निकेतन परिवार के सदस्यों ने पूज्य वासवानी जी के लिये प्रार्थना की और उनके प्रेरक संदेशों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।


दादा वासवानी जी का जीवन चन्दन की तरह सुगंधित रहा, उनके जीवन की सुगंन्ध से देश और दुनिया के लाखों लोगों को मार्गदर्शन प्राप्त हुआ और उनके उपदेशों से लाखों लोग अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन कर पाये।


पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने दादा वासवानी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये अपने संदेश में कहा कि दादा वासवानी जी ने मानवता, पशुओं की सुरक्षा, सेवा एवं शाकाहार जीवन पद्धति अपनाने के लिये पूरे विश्व में अलख जगाया है। उन्होने दुनिया को प्रेम, अहिंसा एवं शान्ति का संदेश दिया। वे सार्वभौमिक, गैर साम्प्रदायिक, विलक्षण प्रतीभा सम्पन्न प्रेम और अहिंसा के मसीहा थे। दादा वासवानी जी ने अपने 99 वर्षो के जीवन में ’’योगः कर्मसु कौशलं’’ का संदेेश दिया और खुद एक ऐसे कर्मयोगी के रूप में शिक्षा, चिकित्सा, गरीबों की सहायता और वे बेजुबान जीवों की जुबान बने रहे। वे बेजुबान जो सड़कों पर घुमते है; वे पशु, जिन्हें हम पशु समझते है उन्हें जानवर न समझते हुये बल्कि उन्हे जीव समझकर जीवदया का संदेश दिया। ’’अहिंसा परमो धर्मः’’ हम कहते है, दया की बात करते है, दया, धर्म का मूल है और उसी दया को उन्होने जीवन का दर्शन बनाया। दादा वासवानी जी के रूप में आज भारत ने प्रेम और जीव दया के मसीहा को खो दिया।


पूज्य स्वामी जी ने कहा कि जीव दया और प्रेम की भावना को आत्मसात करना ही हमारी उनके लिये सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
शोक सभा में सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी, विगत वर्ष मुंबई में आयोजित वैश्विक नागरिक महोत्सव (जीसीएफ) टीजीईएलएफ-वैश्विक शिक्षा और नेतृत्व फाउंडेशन के युवा नेतृत्वकर्ता हितेश्वर कोचा, शिवश सोनी, विनय कुमार, अर्चना अग्रवाल, अश्मिता जोशी, अक्षिता भंजदेव और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने मौन, शान्ति प्रार्थना के साथ पूज्य दादा वासवानी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि भेंट की तथा संकल्प किया गया आगामी अगस्त माह में परमार्थ निकेतन में सम्पन्न होने वाला ’लाइफ शिखर सम्मेलन’ पूज्य दादा वासवानी जी को श्रद्धांजलि समर्पित की जायेगी।

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