- दिवंगत कल्पना चावला की स्मृति में किया पौधा रोपण
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बेटियों के सर्वांगीण विकास पर दिया जोर और हर बेटी को शौचालय सुविधा हो मुहैया इस हेतु कार्य करने का किया आह्वान
- भारत की हर नारी में बसती है एक कल्पना, जरूरत है तो उसे उड़ान देने की- स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 1 फरवरी। परमार्थ निकेतन में देश का नाम रोशन करने वाली बेटी कल्पना चावला की पुण्यतिथि पर उन्हे श्रद्धाजंलि दी तथा परमार्थ प्रांगण में कल्पना चावला की स्मृति में शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया गया। परमार्थ परिवार के साथ लद्दाख से आयी युवा बौद्ध भिक्षुणियों एवं विदेशी सैलानियों ने कुछ क्षण मौन रहकर उनके आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना की। परमार्थ गंगा आरती 1 फरवरी 2003 को दुर्धटनाग्रस्त हुये कोलंबिया अंतरिक्ष यान में मारे गये सातों अंतरिक्ष यात्रियों को समर्पित की गयी।
परमार्थ निकेतन की गंगा आरती आप यहां देख सकते है….https://www.facebook.com/ParmarthNiketan/
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ‘भारत की बेटियों से आह्वान किया कि बेटियाँ केवल सपने देखे ही नहीं बल्कि उसे पूरा भी करे कल्पना चावला की तरह। भारत की हर नारी में एक कल्पना बसी है अतः उन्हे सम्मान दे; अवसर दे और संसाधन प्रदान करें ताकि देश की ये कल्पनायें ऊँची उड़ान भर सकें। बेटियों की कल्पना, कल्पना न रह जायें, उनका सपना, सपना न रह जायें बल्कि जीवन की हर ऊँचाई को वह छू सके। उन्होनेे कहा कि आज के युग में बेटियों को ’’संरक्षण नहीं, संसाधन चाहियें’’, वे प्रतिभाशाली और अद्म्य साहसी हैं। परन्तु एक कटु सत्य यह भी है कि आज भी हम बेटियों पर बेटों जैसा विश्वास नहीं कर पाते, इसका प्रमाण हमारे देश के लिंगानुपात से लगाया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि सरकार ’बेटी बचाओे, बेटी पढ़ाओ’ और अनेक ऐसे अभियान चला रही है परन्तु बेटियों को सुरक्षित रखना समाज की सोच पर निर्भर करता है। सोच बदलेगी तो ही बेटियों का संघर्ष, प्रतिभा और चुनौतियाँ दिखाई देंगी। भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों की सूची बहुत बड़ी है बस उस पर गौर करने की जरूरत है, वे किसी से कमतर नहीं है बस उन पर विश्वास करने की आवश्यकता है।’