पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज सफाईगिरी पुरस्कार से पुरस्कृत
- ली मेरीडियन होटल दिल्ली में हुआ सफाईगिरी समिट और पुरस्कार समारोह का आयोजन
- ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस को ’’बेस्ट सैनिटेशन इंस्टीट्यूट’’ से नवाजा
- पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी को प्रदान किया गया पुरस्कार
- महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोंविद जी ने सफाईगिरी पर मुख्य भाषण दिया
- महामहिम जी द्वारा क्रिकेट के महानायक श्री सचिन तेन्दुलकर बेस्ट स्वच्छता राजदूत के पुरस्कार से पुरस्कृत किया
- सद्गुरू जग्गी वासुदेव जी, संस्थापक ईशा फांउडेशन, जल संरक्षणविद् राजेंद्र सिंह जी ने किया सहभाग
- सुफी गायक श्री कैलाश खेर जी के संगीत पर हुये मंत्र मुग्ध
- ओडीएफ से ओजीएफ की यात्रा
ऋषिकेश, 3 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को सफाईगिरी पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया तथा ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस, परमार्थ निकेतन को बेस्ट सैनिटेशन इंस्टीट्यूट से नवाजा गया। यह पुरस्कार शहरी विकास मंत्री माननीय श्री हरदीप सिंह पुरी जी द्वारा पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, संस्थापक ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस और डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी, अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस को भेंट किया गया।
शहरी विकास मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी जी को स्वामी जी महाराज ने खुले में शौच मुक्त भारत घोषित हुआ इस हेेतु साधुुवाद देते हुये स्वच्छता के विभिन्न स्वरूपों पर चर्चा की। उन्होने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन, अन्य संस्थायें और जनसमुदाय मिलकर इस अभियान को और आगे ले जा सकते है। यूएनओ की ओर से लक्ष्य रखा गया था कि वर्ष 2030 तक भारत खुले में शौच से मुक्त हो जायेंगा उसे मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने वर्ष 2019 में ही पूरा कर दिखाया। स्वामी जी ने कहा कि भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का जो सराहनीय कार्य इतने जल्दी हुआ इसे देखते हुये विश्व के अन्य राष्ट्र भी भारत की ओर देख रहे है और इस पर चर्चा कर रहे है कि अन्य राष्ट्रों को भी किस प्रकार कार्य करना चाहिये। स्वामी जी ने कहा कि भारत का खुले में शौच से मुक्त होना वास्तव में प्रेरणा का उत्सव है।
स्वामी जी ने माननीय मंत्री जी से कहा कि अब ओपन डेफिकेशन फ्री के पश्चात ओपन गार्बेज फ्री भारत की यात्रा आरम्भ करनी है। भारत को एकल उपयोग प्लास्टिक से मुक्त करने के लिये सरकार, संस्थायें और जन समुदाय को एक साथ मिलकर कार्य करना होगा और पूरे देश में एक जागृति अभियान चलाना होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वच्छता, एक आदत नहीं बल्कि संस्कार है जो सदियों से हमारी संस्कृति और सभ्यता का अंग रही है। उन्होने कहा कि ’जल, जंगल और जमीन के बिना मानव का जीवन सम्भव नहीं है और सिंगल यूज प्लास्टिक इन प्रकृति प्रदत उपहारों को नष्ट कर रहा है। वर्तमान समय में मानवीय गतिविधियों के कारण ही प्राकृतिक संपदा खतरे में है; प्रदूषित हो रही है और इससे मानव जीवन भी प्रभावित हो रहा है। हम सभी मिलकर प्रकृति संरक्षण हेतु अपना योगदान दे तो इसके सुखद परिणाम निश्चित रूप से प्राप्त होंगे। नये वर्ष को नये संकल्पों के साथ जियें; अपने द्वारा कोई भी ऐसी गतिविधियां न करे जो समाज, राष्ट्र, विश्व और हमारे ग्रह के लिये घातक हो। हमारे छोटे-छोटे क्रियाकलापों द्वारा ही प्रदूषण फैलता है और इसे कम करने के लिये भी हमें छोटे-छोटे सुधार करने होंगे। आज तक दुनिया में जितनी भी क्रांन्तियां हुई वह किसी व्यक्ति नहीं समुदाय के प्रयासों से सम्भव हो सकी। अब जल संरक्षण और एकल उपयोग प्लास्टिक को समाप्त करने के लिये क्रान्ति करने की जरूरत है।
माननीय श्री हरदीप सिंह पुरी जी ने कहा कि ’पूज्य स्वामी जी युवाओं के प्रेरणास्रोत है। उनके संरक्षण और नेतृत्व में ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस जो पर्यावरण, जल संरक्षण, वृक्षारोपण, नदियों की स्वच्छता और सर्वधर्म समभाव के लिये जो कार्य किये जा रहे है वह अनुकरणीय है। उन्होने कहा कि परमार्थ गंगा तट पर होने वालीे गंगा आरती के माध्यम से विश्व के लोगो को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का संदेश प्रसारित किया जाता है वह जागरण का अनुपम माध्यम है। प्रतिदिन सांयकाल इस तट पर आध्यात्म और जागरण का अनूठा संगम देखने को मिलता है ऐसा संगम हर तट पर हो तो समाज में विलक्षण परिवर्तन किया जा रहा है।