“पितृदोष निवारण महायज्ञ संपन्न”
20 सितम्बर, 2017 को “सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या” पर गाजियाबाद के हिसाली गाँव में स्थित पावन चिंतन धारा आश्रम में “पितृदोष निवारण महायज्ञ” का आयोजन किया गया जिसमें श्रीगुरु पवन जी के सान्निध्य में लगभग 700 सदस्यो ने अपने पितृदोष को समाप्त करने हेतु सामूहिक यज्ञ और तर्पण किया|
भजन और संकीर्तन के साथ आरंभ हुये इस कार्यक्रम में ईश्वर का आवाहन हुआ| उसके बाद श्रीगुरु पवन जी ने ” पितृदोष क्या है”, “इसके लक्षण क्या हैं?”, “इसका निवारण क्या है?” आदि जिज्ञासाओं को शांत किया और यह भी बताया कि ‘आत्मा’ मृत्यु के पश्चात कितने समय तक यहाँ रहती है| साथ ही पितृदोष सम्बन्धी अनेक भ्रांतियों का भी जिक्र किया और उससे बचने के लिए भी सावधान किया|
यज्ञ प्रारंभ करने से पूर्व श्रीगुरुजी के सान्निध्य में उपस्थित सदस्यों ने तीन बार ॐ का नाद किया, तत्पश्चात यज्ञ देव का आवाहन, 11 बार महामृत्युंजय मंत्र जाप, तत्पश्चात “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवे नमः” मंत्र से 1 माला का यज्ञ किया, उसके उपरांत पूर्णाहुति मंत्र “ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं…” के साथ यज्ञ पूर्ण किया| अंत में यज्ञदेव से क्षमा प्रार्थना के साथ यज्ञ पूर्ण किया गया|
पिछले 5 वर्षों से लगातार आश्रम द्वारा यह आयोजन नियमित होता आ रहा है जिसमें श्रीगुरुजी के सान्निध्य में अनेक जन अपने पितृदोष के कष्ट निवारण हेतु एकत्रित होते हैं.