जानिए कार्तिक अमावस्या (दीवाली) पर कैसे करें पितृ दोष निवारण
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो लोग कहते हैं कि ‘उसकी आत्मा को शांति मिले’. यह कथन स्पष्ट करता है कि ऐसी भी लाखों आत्माएं हैं जिन्हें शांति नहीं मिलती और जो मरने के बाद भी मोक्ष के लिए भटकती रहती हैं. ये सभी आत्माएं अपने जिंदा उत्तराधिकारियों की पूर्वज होती हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की वैदिक ज्योतिष में उन्हें पितृ कहा जाता है.पूर्वजों के श्रापों के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें हो सकती हैं. हो सकता है कि यह बीमारियां इतनी गंभीर हो जाएं कि न तो कोई दवा इन पर असर कर पाए और न ही कोई डॉक्टर इनका पता लगा पाए. ये समस्याएं मेडिकल साइंस की समझ से परे की हो जाती हैं.मत्स्यपुराण के अनुसार अगर पग-पग पर जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तो इसका संकेत है कि आपके घर में पितृ दोष है यानि आपसे आपके पितृ अतृप्त हैं.
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जिन आत्माओं को शांति नहीं मिलती वह अपने उत्तराधिकारियों के लिए हमेशा कोई न कोई परेशानी पैदा करती हैं. ज्योतिष में इसे ही पितृ दोष कहा जाता है. ‘बृहत पराशर होरा शास्त्र’ तथा ज्योतिष के अन्य कई महत्वपूर्ण ग्रंथों में पितृ दोष के बारे में विशेष रूप से चर्चा की गई है. पुराणों में भी पितृ दोष का उल्लेख मिलता है. यहां तक कि किसी व्यक्ति की कुंडली में इस दोष का विश्लेषण, इसका व्यक्ति तथा उसके परिवारिक जीवन पर प्रभाव और इस दोष से मुक्ति पाने के उपायों का भी विस्तारपूर्वक वर्णन इन ग्रंथों में दिया गया है.
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की हिन्दु धर्म में दीपावली की रात को दीपक जलाए रखने के संदर्भ में एक मान्यता और कि पितरपक्ष में श्राद्ध के दौरान पृथ्वी पर आने वाले पितरों को फिर से पितृ लोक में पहुंचने में परेशानी न हो, इस हेतु दिवाली की पूरी रात दीपकों द्वारा प्रकाश किया जाता है, जो पितरों को पितृ लोक का रास्ता प्रकाशित करने हेतु होते हैं. इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन है. इस दिन भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा करनी चाहिए और पितरों की पूजा भी करनी चाहिए ताकि पितरों को शान्ति मिल सके और पितृ दोष निवारण भी हो सके.
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कार्तिक अमावस्या पर ऐसे करें पितृ दोष शांति-
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की काल सर्प दोष से पीडि़त लोगों के लिये अमावस्या के दिन पूजन करना उत्तम माना जाता है. अमावस्या को पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है. इस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है. रात्रि में हर ओर अंधकार छाया रहता है. अमावस्या के दिन किये गये उपायों से दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है. इस दिन का ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र में अत्यधिक महत्व है. तंत्र शास्त्र की माने तो अमावस्या के दिन किये गये उपाय बहुत प्रभावशाली होते हैं. जिनका फल अतशीघ्र प्राप्त होता हे. कालसर्प दोष, पितृ दोष या किसी भी ग्रह की अशुभता को दूर करना हो तो अमावस्या के दिन पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है. अमावस्या के दिन शनि देव पर कड़वा तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, काला कपड़ा, नीला पुष्प चड़ा कर शनि मंत्रा का जाप करना चाहिये. हर अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे कड़वे तेल का दिया जलाने से भी पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं.
- अमावस्या के दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करें.
- अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें.
- मंत्र – ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ का जाप करें.
- पितृसूक्त या पितृस्तोत्र का पाठ करें.
- पितृ दोष दूर करने के लिए ब्राह्मणों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई तथा दक्षिणा सहितभोजन कराना चाहिए.इससे जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
- अमावस्या के दिन ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ का बीज मंत्र पढ़ते हुए सूर्य देव को 3 बार अर्घ्य दें.
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि आज कार्तिक अमावस्या (दीपावली) के दिन पितृदोष निवारण हेतु उपरोक्त उपाय किये जाएँ तो निम्न लाभ प्राप्त होते हैं—
- ग्रहों शान्ति– पितरों की प्रसन्नता से उन्नति होती है.
- जन्म राशि– सभी राशियों के लिए.
- सौदर्य– सभी प्रकार के सौंदर्य की प्राप्ति होती है.
- धन और समृधि– सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता मिलती है.
- नौकरी और व्यवसाय– सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता मिलती है.
- प्यार– सभी प्रकार के प्यार में सफलता मिलती है.
- शादी– सभी प्रकार के शादी विवाह में उन्नति की प्राप्ति होती है.
- स्वास्थ्य–सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है.
- अन्य मुसीबत– सभी प्रकार के वैभव और सुख की प्राप्ति होती है.
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