कैसे करें प्रसन्न अपने पितरों को ?
श्राद्ध पक्ष में यदि कोई ब्राह्मण आपके घर बिन बुलाये आ जाए तो यह समझ लीजिए उस घर के पितृ दोष जल्दी ही दूर होने वाले हैं। यह पितृ दोष निवारण का सबसे आसान उपाय है। यदि आप किसी को ब्राह्मण को बुला रहे हैं तो उसे भोजन बड़ी श्रद्धा से कराय। सात्विक भोजन श्रेष्ठ हैं, श्राद्ध में तामसिक भोजन का निषेध होता है। आप अपने पूर्वजों को नित्य प्रणाम करें और श्राद्ध पक्ष में तर्पण अवश्य करें।
क्या करना चाहिए पितृपक्ष में ?
इस श्राद्ध पक्ष में जो भी जातक बरगद के पेड़ को गले लगाकर कुछ भी मांगेगा उसके पूर्वज उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते है। श्राद्ध पक्ष में कौवों को खीर दही इमरती चावल यह तो खिलाना ही चाहिए साथ ही जब भी आपके घर में श्राद्ध हो उस दिन पंचग्रासी अवश्य निकाले। यह पंचग्रासी कौवे, गाय, कुत्ते, कीड़े मकोड़े, एवं किसी मांगने वाले के निमित्त की होती है। इस पंच ग्रासी पर अगर थोड़ी सी चाय पत्ती रख दि जाए तो आपके पूर्वज जो इधर-उधर भटक रहे हैं वे पित्रलोक को चले जाते हैं।
अनादि निधनो देव शंख चक्र गदा धर अक्षय पुंडरीकाक्ष मम प्राणी मोक्ष पर्दों भव।यह प्राथना आप रोज करें। ध्यान रखे कि जब तक किसी की बरसी अर्थात साढ़े ग्यारह महीने का श्राद्ध नही निकल जाता है तब तक किसी और का श्राद नही होगा।
श्राद्ध पक्ष में हम हमारे पितरों के निमित्त जो भी दान करें श्रद्धा भाव से करें। जो दान दिल से किया जाता हैं, वह ही फलदायक होता हैं। मन में अहंकार घमंड या किसी प्रकार के दिखावे के लिए दान ना करें, जो भी करें अपने पूर्वजों के प्रति नतमस्तक होकर करें। पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि श्राद्धपक्ष में आप वस्त्र का दान करना चाहते हैं तो सूती वस्त्र दान करें, हो सके तो पांच वस्त्र अवश्य दें। यदि आप अन्न दान करना चाहते हैं तो चावल या तिल का दान अवश्य करें।
फल के दान में केले का दान का महत्व ज्यादा है। लेकिन केले के पत्ते के ऊपर श्राद्ध पक्ष का न तो भोजन करावे ओर न ही पूजन करें। शहद का दान अति उत्तम माना गया है।
पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार सूखे आंवले एवं कमलगट्टे का दान अपने आप में उत्तम कहा गया है। सफेद वस्तुओं का दान आप अवश्य कर सकते हैं। तांबे के पात्र में जल भरकर दान करने से कई गुना फल मिलता है। पितरों के निमित्त तेल का दान भी कर सकते हैं तेल में तिल्ली का तेल सबसे उत्तम कहा गया है।
उज्जैन के ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि श्राद्ध पक्ष के अंदर गीता के सातवें और नवें अध्याय का पाठ पढ़कर उसे संकल्प सहित अपने प्राणी के निमित दान करने से प्राणी को वैकुंठ में वास मिलता है ।
ज्योतिषचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि गजेन्द्र मोक्ष का पाठ पितृ मोक्ष और पितृ दोष भी दूर करता है। श्राद में पितृ गायत्री का जप उत्तम फल देता है। वायु की पत्नी स्वस्ति देवी पूरे विश्व मे पूजित है। जो बाह्मण श्राद का भोजन करते है या दान लेते है वे “स्वस्ति” शब्द अवश्य कहे। अन्यथा लेना और देना दोनो विफल हो जाता है।