पितृपक्ष विशेष: इन सात जगहों पर श्राद्ध करने से मिलेगा पुण्य
पितृपक्ष चल रहे हैं. इन दिनों अपने देवताओं, पितरों और वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करना होता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है. यूं तो देश के कई स्थानों में पिंडदान किया जाता है पर कुछ विशेष जगहों पर श्राद्ध करने से बहुत पुण्य मिलता है और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है. आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में.
गया
बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का बहुत महत्व है. मान्यता है कि भगवान राम और देवी सीता ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था. गया को विष्णु का नगर माना गया है. यह मोक्ष की भूमि कहलाती है.
हरिद्वार
माना जाता है कि हरिद्वार के नारायणी शिला पर तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है. पितृ पक्ष के दौरान दुनिया भर से श्रद्धालुओं यहां आकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं.
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वाराणसी
वाराणसी भगवान शिव की बहुत पवित्र नगरी है. दूर-दूर से लोग आकर यहां पर अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं. बनारस के कई घाटों पर अस्थि विसर्जन और श्राद्ध के कर्म कांड किए जाते हैं.
इलाहाबाद
संगम पर पितरों का तर्पण करना सबसे उत्तम माना जात है. यहां पर आकर पिंडदान करने का अलग ही महत्व है. इलाहाबाद में पितृपक्ष पर बहुत बड़ा मेला भी लगता है. दूर- दूर से लोग यहां पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए आते हैं.
मथुरा
भगवान कृष्ण ने मथुरा में पैदा हुए थे इसलिए इस पवित्र स्थान का पुराणों में बहुत महत्व है. मथुरा में भगवान कृष्ण के अनेक धार्मिक स्थल मौजूद हैं. यहां पर वायुतीर्थ पर पिंडदान किया जाता है. मथुरा में तर्पण कर लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करते हैं.
जगन्नाथ पुरी
चार धाम की यात्रा से पुण्य की प्राप्ति मानी जाती है. जगन्नाथ पुरी चार धामों में से एक है. यहां पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा- पाठ किए जाते हैं. पुरी शहर में पिंडदान की एक अलग ही मान्यता है.
बद्रीनाथ
चारों धामों में से एक बद्रीनाथ को श्राद्ध कर्म के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. बद्रीनाथ के ब्रह्मकपाल घाट पर श्रद्धालु सबसे ज्यादा संख्या में पिंडदान करते हैं. यहां से निकलने वाली अलकनंदा नदी पर पिंडदान किया जाता है.