प्रदोष व्रत का शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व है. इस व्रत को रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस माह प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 14 अक्टूबर को मनाया जाएगा यह अधिकमास का आखिरी प्रदोष व्रत है.
यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रखा जाता है. माना जाता है कि जो लोग त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं भगवान शिव उनके जीवन से सभी तरह के दुखों को दूर कर देते हैं. इस दिन पूरे विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा करने पर भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.
प्रदोष व्रत मुहूर्त
आश्विन, कृष्ण त्रयोदशी
प्रारम्भ – 14 अक्टूबर, प्रातः 11:51
समाप्त – 15 अक्टूबर प्रातः 08:33
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प्रदोष व्रत महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव की प्रसन्नता और प्रभुत्व की प्राप्ति के लिए किया जाता है. यह तिथि भगवान शिव को बहुत प्रिय है. भक्ति भाव से इस तिथि पर पूजा करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और धन-वैभव मिलता है और सभी तरह के दोष भी खत्म होते हैं.
पूजा विधि
आइये जानते हैं व्रत की पूजा विधि-
व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर सफेद या बादामी रंग के वस्त्र पहनें.
इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें. और गंगाजल छिड़कें.
पूजा करने के लिए सफेद रंग के आसान पर बैठें.
पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें और उसमें सफेद कपड़ा बिछाएं. कपड़े पर स्वास्तिक बनाएं और उसकी पूजा करें.
चौकी पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें. और सफेद फूलों की माला पहनाएं.
सरसों के तेल का दीया जलाएं और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें.
इस दिन भोलेनाथ की पूजा करते हुए उन्हें खीर का भोग लगाएं. और इस प्रसाद को घर के सभी सदस्यों को बांटें.
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