पूरे देश में छठ पूजा को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. यह कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है. नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है.
छठ के दूसरे दिन जिसे खरना कहा जाता है घरों में प्रसाद के लिए महिलाएं रसिया बनाती हैं। खीर बनाने के लिए आम की लड़की और मिट्टी के चूल्हे का उपयोग किया जाता है। खरना का प्रसाद बनाने के लिए चावल, दूध और गुड़ का उपयोग किया जाता है। चावल और दूध चंद्रमा का प्रतीक है तो गुड़ सूर्य का प्रतीक है।
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नए चूल्हे पर बनाया जाता है प्रसाद
क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा का प्रसाद सिर्फ चूल्हे पर ही क्यों बनाया जाता है. छठ पूजा का प्रसाद चूल्हे पर ही बनाए जाने के पीछे एक कहानी जुड़ी हुई है. ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा का प्रसाद सिर्फ चूल्हें पर ही बनाना चाहिए. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जिस चूल्हे पर खाना बन चुका हो उस पर छठ पूजा का प्रसाद नहीं बनाना चाहिए यानी की छठ पूजा के प्रसाद के लिए नया चूल्हा होना चाहिए.
ऐसा इसलिए क्योंकि हम जिस चूल्हे पर खाना बनाते हैं, उस पर प्याज, लहसुन या फिर कोई मांसाहारी खाना बना होता है और छठ पूजा का प्रसाद एक पवित्र प्रसाद होता है.छठ के प्रसाद के लिए नया चूल्हा बनाया जाता है. इसके अलावा छठ का प्रसाद बनाने के लिए ऐसे बर्तन इस्तेमाल में लाने चाहिए जिसमें पहले कोई नमक वाली चीज न बनी हो क्योंकि छठ का प्रसाद व्रत वाले लोग भी खाते हैं.
यह भी मान्यता है कि छठ के प्रसाद को खुले आंगन में बनाना चहिए.जहां पर चूल्हा बना हो उसे साफ पानी से धोकर उस चूल्हे को गोबर से लेपना चाहिए. अगर आप चूल्हा बनाने में असर्मथ हैं तो आप सिर्फ तीन ईंट रखकर भी चूल्हा बना सकते हैं.