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जानिये कहां रेडियो ड्रामा से होती है नवरात्रि की शुरुआत 

जानिये कहां रेडियो ड्रामा से होती है नवरात्रि की शुरुआत

भारत अनोखी रवायतों का देश है. आप सब नवरात्रि की शुरुआत मां दुर्गा की पूजा आराधना से करते होंगे लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां नवरात्रि में एक अलग ही परम्परा चलती है. पश्चिम बंगाल में  श्राद्ध पक्ष के खत्म होने और दुर्गापूजा के आने के बीच इस दिन सुबह हर पारंपरिक परिवार में एक रस्म निभाई जाती है. क्या है वो रस्म आइये बताते हैं.

रेडियो ऑन करके बीरेंद्र  कृष्ण भद्र के धार्मिक प्ले महिषासुर मर्दनी को सुनने की रस्म, जी हां बिलकुल सही पढ़ा आपने! जब तक रेडियो ऑन करके बीरेंद्र  कृष्ण भद्र के धार्मिक प्ले महिषासुर मर्दनी को न सुन लिया जाए यहां दुर्गापूजा की शुरुआत नहीं मानी जा सकती है.

कब शुरुआत हुयी इस परम्परा की?

1931 में पहली बार सुनाए गए इस प्ले का बंगाल के सबसे बड़े पर्व का हिस्सा बन जाना एक अनोखी मिसाल है. 1966 में रेडियो पर पहली बार महालया (पितृविसर्जन अमावस्या का बंगाल में प्रचलित नाम) के दिन बीरेंद्र भद्र के प्ले महिषासुर मर्दनी को ब्रॉडकास्ट किया गया था.  देखते ही देखते 90 मिनट की ये कंपोज़ीशन मां दुर्गा के स्वागत का प्रतीक बन गई.

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कौन थे बीरेंद्र कृष्ण भद्र

1905 में पैदा हुए बीरेंद्र  भद्र प्ले राइटर, ऐक्टर और डायरेक्टर थे. यूं तो उन्होंने ‘साहब बीवी ग़ुलाम’ जैसे कई मशहूर बांग्ला नाटक डायरेक्ट किए मगर संगीतकार पंकज मल्लिक के साथ मिलकर बनाई गई उनकी कंपोजीशन महिषासुर मर्दनी ने उन्हें साहित्य और कला जगत के साथ-साथ धार्मिक रस्मो-रिवाज का हिस्सा बना दिया.

कई प्रयोग भी किये गए

दुर्गा सप्तशती, लोक संगीत और कूछ दूसरे मंत्रों को मिलाकर बनाई गई इस रचना में बीरेंद्र भद्र के पढ़ने का अंदाज़ वास्तव में रोंगटे खड़े कर देता है. ऑल इंडिया रेडियो ने इस प्ले के साथ बीच-बीच में कई प्रयोग करने की भी कोशिश की. बांग्ला फिल्मों के सुपर स्टार उत्तम कुमार को बीरेंद्र  भद्र की आवाज को रिप्लेस करने के लिए लाया गया. लेकिन उत्तम कुमार अपनी तमाम लोकप्रियता के बावजूद बुरी तरह नकारे गए. यदि आज भी आप उस दौर के किसी कोलकाता निवासी से इस घटना के बारे में पूछेंगे तो वेह इस तरह नाराज़ होगा जैसे बीरेंद्र भद्र की आवाज़ को बदलकर कोई गुनाह कर दिया हो.

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बीरेंद्र  भद्र का 1991 में हुआ निधन

बीरेंद्र भद्र का 1991 में निधन हो गया. वह इस दुनिया से तो चले गए मगर उनकी आवाज हर साल एक तय वक्त पर देवी दुर्गा का स्वागत करती है. बदलते दौर के साथ महिषासुर मर्दनी यूट्यूब, सीडी और दूसरे डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध हो गया है मगर इसका जादू अभी भी वैसा है.

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Post By Shweta