कोएम्बटूर। देश में नदियों के संरक्षण और संवर्धन की बात नई नहीं है। समय समय पर सरकारों से लेकर सामाजिक लोगों ने नदियों को हमारी आधुनिक खतरों से बचाने के लिए आंदोलन चलाए। देश में आने वाली सितंबर में एक और आंदोलन होने को है। ईशा फाउंडेशन के आध्यात्मिक प्रमुख सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने नदियों में पानी के घटते असर और आज के खतरों के सजग करने के लिए रैली फॉर रिवर्स नाम के कैम्पेन को शुरू किया है। ईशा फाउंडेशन ने नदियों को फिर से उफनती बनाने के लिए एक विसतृत कार्ययोजना पर्यावरण मंत्रालय को सौंपी है। ईशा योग सेंटर ने रविवार को रैली फॉर रिवर्स कैंपेन लांच किया। जिसमें हजारों लोगों ने रैली फॉर रिवर्स की तख्तियां लेकर भारत का मानचित्र बनाया।
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सद्गुरु की सोच नदियों में पानी के स्तर को सदैव बराबरी का रखने की है। ईशा फाउंडेशन की वेबसाइट के अनुसार देश की तीन बड़ी नदियां – नर्मदा, कृष्णा और कावेरी साल में चार महीने अपना पानी समुद्र में नहीं पहुंचा पाती। इसकी केवल एक वजह है, पानी का न होना। हमारी भारतीय संस्कृति नदियों के पास ही पैदा हुई और लहलहाई।
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ईशा फाउंडेशन ने देश के लोगों से निवेदन किया कि इस नंबर पर मिस कॉल देकर रैली फॉर रिवर्स अभियान में शामिल हो सकते हैं – 8000980009 – कोएम्बटूर के ईशा योग सेंटर में उपस्थित 10,000 से भी अधिक लोगों को संबोधित करते हुए सद्गुरु ने कहा कि, “जल हमारी मूलभूत अवश्यकताओं में से एक है, लेकिन हमारी नदियां- जो जल का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है के सामने गहरे संकट उत्पन्न हो गए हैं. सिर्फ एक पीढ़ी के भीतर हमारी बारहमासी नदियां मौसमी नदियों में परिवर्तित हो गयी है. और न जाने कितनी छोटी नदियां तो करीब-करीब गायब हो गयी हैं. अगर हमने इसे बदलने का प्रयास अभी नहीं किया तो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को विरासत में संघर्षमय और अभावों वाला जीवन देंगे.”
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सदगुरु जग्गी वासुदेव कन्याकुमारी से कश्मीर तक इस रैली में शामिल होंगे। 16 राज्यों से गुजरने वाली इस रैली फॉर रिवर्स में लाखों लोग शामिल होंगे। हर राज्य के मुख्यमंत्री ने भी इस कार्य का हिस्सा बनने और सहयोग देने में सहमति जताई है.
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सुनिए सद्गुरु से क्यों भारत में पूजी जाती है नदियां –
सौजन्य- ईशा फाउंडेशन
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