परमार्थ निकेतन में राष्ट्र, पर्यावरण एवं जल संरक्षण को समर्पित श्रीराम कथा का शुभारम्भ
- उत्तराखण्ड की राज्यपाल महामहिम श्रीमती बेबी रानी मौर्या जी एवं स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर किया श्रीराम कथा का शुभारम्भ
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देश के युवाओं को दिया संदेश अपने अवकाश का उपयोग नये अविष्कार, खोज और उत्थान हेतु करे
- भक्ति, त्याग, तपस्या, समर्पण एवं निष्ठा का भाव यथार्थ रूप में परिलक्षित करती है श्रीराम कथा – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
- राष्ट्र को समर्पित श्रीराम कथा का शुभारम्भ राष्ट्र गान से हुआ
ऋषिकेश, 16 मई। परमार्थ निकेतन गंगा तट आज राष्ट्र, पर्यावरण एवं जल संरक्षण, माँ गंगा सहित देश की सभी नदियों को समर्पित मानस कथा का शुभारम्भ हुआ। प्रख्यात कथाकार श्री मुरलीधर जी महाराज के मुखारबिन्द से माँ गंगा के साथ-साथ मानस की ज्ञान रूपी गंगा भी प्रवाहित हो रही है। मानस रूपी ज्ञान गंगा 16 मई से 14 जून तक सतत प्रवाहित होेते रहेगी। आज इस पावन कथा का शुभारम्भ उत्तराखण्ड की राज्यपाल महामहिम श्रीमती बेबी रानी मौर्या जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री मलूक पीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदास जी महाराज, कथाकार श्री मुरलीधर जी महाराज, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी एवं अन्य पूज्य संतों की दिव्य उपस्थिति में हुआ।
श्रीराम कथा के मंच से श्रद्धालुओं को राष्ट्र, समाज, पर्यावरण, परिवार और जीवन से जुड़ी समस्याओं के समाधान पर पूज्य संतों, पर्यावरणविद्ों, मूर्धन्य विभूतियों और विशेषज्ञों के विचार से अवगत होने का अवसर प्राप्त होगा। प्र्रतिदिन कथा के समापन अवसर पर वैश्विक स्तर पर व्याप्त समस्याओं यथा स्वच्छता, स्वच्छ जल, नदियों का संरक्षण, शौचालय के प्रति जागरूकता, प्लास्टिक मुक्त विश्व का निर्माण, गौ संवर्धन, वृक्षारोपण, बढ़ते ई कचरे के प्रति जागरूकता, शाकाहारी जीवनचर्या, कुपोषण, महिला सशक्तिकरण, शादी से पहले शिक्षा, बाल विवाह के प्रति जागरूकता, दहेज प्रथा, नशा मुक्त भारत, भू्रण हत्या के प्रति जागरूक करने एवं समाधान प्रस्तुत करने हेतु संदेश प्रसारित किया जायेगा तथा लोगों को संकल्प दिलवाया जायेगा।
भारत के विभिन्न प्रदेशों से कथा श्रवण करने आये श्रद्धालु जो उपयुक्त मुद्दों पर स्थानीय स्तर पर कार्य कर रहे है उन्हे भी अपने अनुभव साझा करने का अवसर दिया जायेगा और उनके संकल्पों को भी साझा किया जायेगा ताकि अन्य लोगों को उससे प्रेरणा मिले।
श्रीराम कथा का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल के माध्यम से पूरे विश्व में हो रहा है ताकि श्रीराम कथा के साथ-साथ श्रद्धालुओं को वैश्विक समस्याओं के विषय में जानकारी प्राप्त हो एवं उनके समाधान हेतु विशेषज्ञों की राय भी सभी तक पहुंच सके।
उत्तराखण्ड की राज्यपाल महामहिम श्रीमती बेबी रानी मौर्या जी ने कहा कि ’’स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जो राष्ट्र भक्ति और देश भक्ति का बीड़ा उठाया है वह विलक्षण कार्य है। अगर हमारे मन में राष्ट्र भक्ति नहीं होगी, अपने देश के प्रति प्रेम नहीं होगा तो हम कुछ नहीं कर सकते। उन्होने कहा कि विश्व के देशों की उन्नति देशभक्ति की भावना से ही होती है। देश प्रेम के साथ हमें यह भी ध्यान रखना है कि हमारे देश का वातावरण कैसा है, पर्यावरण कैसा है और हमारी नदियों की स्थिति कैसी है यह जिम्मेदारी भी हमारी है। मेरा मानना है कि इस रामकथा के श्रवण से सभी का अंतःकरण शुद्ध होगा जिससे हम मानवता की और अधिक सेवा कर सकते है। महामहिम ने कहा कि गंगा हमारी माँ है हम उनके बिना नहीं रह सकते क्योंकि वे हमें जल देती है; अन्न देती है। हमें अपने प्राकृतिक संसाधानों को प्रदूषण से मुक्त रखना है। उन्होंने सभी से कहा कि राम कथा के माध्यम से सभी के मन में एक नये भारत के निर्माण का संकल्प उभरे और यही आप सभी का संकल्प भारत को विश्वगुरू बनायेगा।’’
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज कहा कि ’श्री राम कथा गंगा माता, गौ माता और धरती माता को समर्पित है। रामायण, वास्तव में जीवन के सभी सम्बंधों का आदर्श है। यह ग्रंथ सभी युगों के लिये सम्बंधों को जीवंत बनाये रखने के आदर्श रूप को प्रस्तुत करता है। इसमें भाई-भाई का प्रेम; पिता पुत्र का प्रेम; माँ और बेटे का पे्रम; पति-पत्नी का प्रेम, राजा और प्रजा का प्रेम और सबसे अधिक भक्त और भगवान के प्रेम को प्रकट किया गया है। इन सभी सम्बंधों में भक्ति, त्याग, तपस्या, समर्पण एवं निष्ठा का भाव यथार्थ रूप में परिलक्षित होता है। रामायण अपने आप में आदर्श जीवन गाथा है जो सदियों से जीवित रही है और अनन्त काल तक जीवित रहते हुये गोस्वामी जी के द्वारा व्यक्त विचार ’’हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता’’ को सार्थक करती रहेगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि देश को एक राष्ट्रभक्त सरकार चाहिये। देश प्रेम से युक्त सभी की भावनायें ही इस देश को विश्वगुरू का स्थान दिला सकती है। उन्होने कहा कि हमारा यह श्रीराम कथा का एक माह का महापर्व राष्ट्र को समर्पित है।
श्री मलूक पीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदास जी महाराज, कहा कि ’’भगवान की कथा तो वक्ता, श्रोता और आयोजक सभी को पवित्र करने वाली है। परमार्थ निकेतन से एक माह तक जो कथा का प्रसाद सारे संसार को मिल रहा है वास्तव में यह अद्भुत है। उन्होने कहा कि एक सप्ताह की कथायें तो बहुत होती है परन्तु एक माह की कथा केवल परमार्थ गंगा तट ही होती है। इस माह में प्रतिवर्ष सत्संग गंगा की बाढ़ परमार्थ निकेतन में आ जाती है और इससे लोगों के हृदय में विलक्षण परिवर्तन होता है।
इस अवसर पर मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति पर्यावरण रक्षण की संस्कृति है। यहां पर नदियों को भी माँ का दर्जा दिया गया है इनकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। भारत की संस्कृति तो वृक्षों एवं प्राणियो के भी सत्कार की संस्कृति है और श्रीराम कथा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने पूज्य संतों एवं अतिथियों का अभिनन्दन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं श्री मलूक पीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदास जी महाराज ने उत्तराखण्ड की राज्यपाल महामहिम श्रीमती बेबी रानी मौर्या जी, कथाकार सन्त मुरलीधर जी महाराज, श्रीमती मीना रमावत एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष को पौधा भेंट किया तथा विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की। इस अवसर पर स्वामी जी महाराज ने आज वृक्षारोपण का संकल्प कराया। कथा के मंच से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि अपनी प्रतिभा को अपने राष्ट्र को स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध बनाने में लगाये। अपने अवकाश का उपयोग नये अविष्कार, खोज और उत्थान में लगाये।