अलविदा की नमाज़ – महत्व और जामा मस्जिद पर उसकी रौनक
रमजान का पाक महीना रुखसत होने को है.शुक्रवार को रमजान उल मुबारक महीने का आखिरी जुमा यानी अलविदा की नमाज़ थी. रोजेदारों के लिए इस जुमे की काफी अहमियत होती है.रोजेदारों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है.
माना जाता है की अलविदा की नमाज में साफ दिल से जो भी दुआ की जाती है, वह जरूर पूरी होती है.अब ईद आने में महज चार से पांच दिन बाकी रह गए हैं.अगर चांद 4 जून को दिख गया तो भारत में ईद का त्यौहार 5 जून को, नहीं तो 6 जूनको मनाया जाएगा. चलिए जानते हैं अलविदा जुमा का मतलब और उसका महत्व क्या होता है.
क्या है अलविदा की नमाज़
अलविदा का मतलब है किसी का हमसे विदा लेना और यहाँ रमजान हमसे रुखसत हो रहा है. इसलिए इस मौके पर जुमे में अल्लाह से खास दुआ की जाती है कि आने वाला रमजान हम सब को नसीब हो. रमजान के महीने में आखिरी जुमा (शुक्रवार) को ही अलविदा जुमा कहा जाता है. अलविदा जुमे के बाद लोग ईद की तैयारियों में लग जाते है. अलविदा जुमा रमजान माह के तीसरे अशरे (आखिरी 10 दिन) में पड़ता है.
अलविदा की नमाज की महत्व
अल्लाह ने इस जुमे को सबसे अफजल करार दिया है. हदीस शरीफ में इस जुमे को सय्यदुल अय्याम कहा गया है. माहे रमजान से मुहब्बत करने वाले कुछ लोग अलविदा के दिन गमगीन हो जाते हैं. यह आखिरी अशर है, जिसमें एक ऐसी रात होती है, जिसे तलाशने पर हजारों महीने की इबादत का लाभ एक साथ मिलता है. यूं तो जुमे की नमाज पूरे साल ही खास होती है पर रमजान का आखिरी जुमा अलविदा सबसे खास होता है. अलविदा की नमाज में साफ दिल से जो भी दुआ की जाती है, वह जरूर पूरी होती है.
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जामा मस्जिद में अलविदा की नमाज़ की रौनक
रमजान के पाक महीने के अलविदा की नमाज का नज़ारा नयी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद में देखने लायक था. जामा मस्जिद में अलविदा की नमाज़ शुक्रवार को अदा की गयी.इस मौके पर नमाज़ अदा करने वाले रोजेदारों ने शांति की कामना की.ऐसा माना जाता है कि रमजान के आखिरी जुमे की नमाज को अदा करने से दुआएं कबूल होती हैं, खुदा रोजेदारों पर रहमतों की बारिश करता है, लोगों में प्यार और भाईचारा बढ़ता है.
जामा मस्जिद में अलविदा की नमाज़ शुक्रवार को अदा की गयी.इस मौके पर नमाज़ अदा करने वाले रोजेदारों ने शांति की कामना की. हर एक रोजेदार की आंखे रमजान की विदाई पर नम नजर आईं. हजारों की तादात में रोजेदारों ने सजदे में सिर झुकाया. खुदा की इबादत के जज्बे से लबरेज रोजेदारों ने मुल्क की तरक्की व खुशहाली के लिए दुआ की. रोजेदारों ने नई टोपी और नया लिबास पहन रखा था. इत्र की खुशबू महक रही थी. जुबान पर अल्लाह का जिक्र करने के साथ ही रोजेदारों ने जामा मस्जिद का रुख कर लिया था. पहली सफ में जगह पाने के लिए सभी लोगों में उत्साह नजर आ रहा था. नजरों में अल्लाह से बख्शीश की गुहार झलक रही थी. सभी की आंखों में अल्लाह की रहमत की बारिश का इंतजार था. जामा मस्जिद पूरी तरह भरी नजर आई.
- दिल्ली के जामा मस्जिद से श्वेता सिंह की रिपोर्ट