रंगभरी एकादशी बहुत ही खास मानी जाती हैं फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं वही इसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता हैं .इस साल रंगभरी एकादशी 6 मार्च दिन शुक्रवार को पड़ रही है.
वही रंगभरी एकादशी का दिन भगवान शिव की नगरी काशी के लिए विशेष माना जाता हैं इस दिन शिव माता गौरा और अपने गणों के साथ रंग गुलाल से होली खेलते हैं। इस हर्षोल्लास के पीछे एक विशेष बात भी हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि शिव और गौरी के वैवाहिक जीवन के लिए रंगभरी एकादशी क्यों विशेष होती हैं, तो आइए जानते हैं।
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बता दें कि रंगभरी एकादशी के दिन काशी में बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता हैं और उनको दूल्हे के रूप में सजाते हैं इसके बाद विश्वनाथ जी के साथ देवी माता गौरा का गौना कराया जाता हैं।
रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता गौरा को विवाह के बाद पहली बार काशी लाए थे। वही इसके उपलक्ष्य में शिव के गणों ने रंग गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई थी। तब से हर साल रंगभरी एकादशी को काशी में बाबा विश्वनाथ रंग गुलाल से होली खेलते हैं और माता गौरा का गौना भी कराया जाता हैं।
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