जानिये सीताहरण से पूर्व रावण ने किया था किसका हरण
रावण द्वारा सीता हरण की कथा तो हर कोई जानता है पर एक अन्य कथा के अनुसार रावण ने न सिर्फ राम की पत्नी सीता का हरण किया था बल्कि उनकी माता कौशल्या का भी हरण किया था. यह आनंद रामायण की कथा में वर्णित हैं. बता दें कि आनंद रमायण वाल्मीकि की मूल कृति रामायण से अलग रचना है. आनंद रामायण में लेखक का नाम तो नहीं है पर ऐसा माना जाता है कि इसे भी वाल्मीकि ने ही लिखा है.
क्या है कथा
आनंद रामायण की कथा के अनुसार रावण ने कौशल्या का अपहरण राम के जन्म से पूर्व ही किया था. रावण को ब्रह्मा जी ने बताया था की राजा कौशल की पुत्री कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से होगा और उनसे जन्मा पुत्र ‘राम’ उसका वध करेगा. यह सुन रावण पहले अयोध्या आया. वहां राजा दशरथ अपने मंत्रियों के साथ जलक्रीड़ा कर रहे थे. रावण ने उनपर हमला करके उनकी नाव डुबो दी. इसके बाद रावण ने कौशलपुरी जाकर कौशलराज को भी पराजित किया और उनकी कन्या राजकुमारी कौशल्या का अपहरण कर लाया.
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मछली के मुंह में छिपाया देवी कौशल्या को
उसने कौशल्या को एक संदूक में भरकर तिमिंगल नामक मछली के मुंह में छिपा दिया और फिर लंका वापस लौट गया. तिमंगल कौशल्या को अपने मुह में दबाकर घूम रही थी कि तभी उसका सामना पानी में अपने एक दुशमन से हो गया. तिमंगल ने उस संदूक को एक निर्जन टापू पर रख दिया और अपने शत्रु से युद्ध करने चली गई. इतने में रावण के हमले से बचकर राजा दशरथ और उनके मंत्री सुमंत्र टूटी हुई नाव की एक लकड़ी को पकड़कर उसी टापू पर पहुंच गए जहां संदूक में कौशल्या पड़ी हुईं थी. उस निर्जन टापू पर उस संदूक को देखकर दशरथ को आश्चर्य हुआ. उन्होंने संदूक खोला तो उसमे एक कन्या को पड़े देखकर उनकी हैरानी की सीमा नही रही.
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दशरथ और कौशल्या ने किया गन्धर्व विवाह
दशरथ और कौशल्या ने एक दूसरे को अपने बारे में बताया. इसके बाद दोनों ने एक दूसरे से गंधर्व विवाह कर लिया. विवाह के उपरांत कौशल्या के साथ दशरथ और सुमंत्र भी उस संदूक में छिप गए. तिमिंगल ने वापस लौटकर संदूक को फिर से अपने मुंह में छिपा लिया. रावण को लगा कि उसने अपने मृत्यु को पराजित कर दिया है. वह ब्रह्मा के पास पहुंचा और उन्हें बताया कि उसने दशरथ को मार दिया और कौशल्या का अपहरण कर उन्हे छुपा दिया है.
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कैसे छोड़ा कौशल्या को
ब्रह्मा जी ने कहा कि दशरथ और कौशल्या के बीच प्रणय हो चुका है. ब्रह्माजी ऐसा सुनकर रावण ने तुरंत ही उस संदूक को अपने पास मंगवाया. उसने संदूक को खुलवाया और उसमें कौशल्या के साथ दशरथ और सुमंत्र को देख आग बबूला हो गया. उसने अपनी तलवार निकाली और उनका वध करना चाहा पर ब्रह्मा जी ने उसे ऐसा करने से रोकते हुए कहा कि अगर उसने ऐसा कुछ किया तो ये तीन, तीन करोड़ हो जाएंगे और राम भी आज ही अवतरित होकर तुम्हारा वध कर देंगे. ब्रह्मा जी ने रावण को समझाया कि होनी को कोई नहीं टाल सकता. तुम क्यों अपनी मृत्यु आने से पहले ही मरना चाहते हो. ब्रह्मा जी द्वारा समझाए जाने पर रावण ने दशरथ, कौशल्या और सुमंत्र को जीवित छोड़ दिया और लंका चला गया.
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