सबरीमाला मंदिर काफी चर्चा में रहा है. इसका मुख्या कारण इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश निषेध है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इस मंदिर की मान्यता भारी पड़ती दिखाई दे रही है. आइये जानते हैं सबरीमाला मंदिर और भगवन अयप्पा के बारे में.
कौन है स्वामी अयप्पा
भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं। विष्णु का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था। उनके वीर्य को पारद कहा गया और उनके वीर्य से ही बाद में सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया। शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको ‘हरिहरपुत्र’ कहा जाता है।
धार्मिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भोलेनाथ भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए थे और इसी के प्रभाव से एक बच्चे का जन्म हुआ जिसे उन्होंने पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया। इस दौरान राजा राजशेखरा ने उन्हें 12 सालों तक पाला। बाद में अपनी माता के लिए शेरनी का दूध लाने जंगल गए अयप्पा ने राक्षसी महिषि का भी वध किया।
अय्यप्पा के बारे में एक किंवदंति और भी है कि उनके माता-पिता ने उनकी गर्दन के चारों ओर एक घंटी बांधकर उन्हें छोड़ दिया था। पंडालम के राजा राजशेखर ने अय्यप्पा को पुत्र के रूप में पाला। लेकिन भगवान अय्यप्पा को ये सब अच्छा नहीं लगा और उन्हें वैराग्य प्राप्त हुआ तो वे महल छोड़कर चले गए। कुछ पुराणों में अयप्पा स्वामी को शास्ता का अवतार माना जाता है।
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अयप्पा स्वामी मंदिर का इतिहास और मान्यताएं
अय्यप्पा स्वामी मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. दक्षिण भारत के केरल में सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी मंदिर है. इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। वही शबरी जिसने भगवान राम को जूठे फल खिलाए थे और राम ने उसे नवधा-भक्ति का उपदेश दिया था।
बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है इसके साथ शोर भी सुनाई देता है। भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे जलाते हैं। मंदिर प्रबंधन के पुजारियों के मुताबिक मकर माह के पहले दिन आकाश में दिखने वाले एक खास तारा मकर ज्योति है। कहते हैं कि अयप्पा ने शैव और वैष्णवों के बीच एकता कायम की। उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया था और सबरीमाल में उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
सबरीमाला की मान्यताएं
- इस मंदिर में महिलाओं का आना वर्जित है. इसके पीछे मान्यता ये है कि यहां जिस भगवान की पूजा होती है (श्री अयप्पा), वे ब्रह्माचारी थे इसलिए यहां 10 से 50 साल तक की लड़कियां और महिलाएं नहीं प्रवेश कर सकतीं.
- इस मंदिर में ऐसी छोटी बच्चियां आ सकती हैं, जिनको मासिक धर्म शुरू ना हुआ हो. या ऐसी या बूढ़ी औरतें, जो मासिकधर्म से मुक्त हो चुकी हों.
- यहां जिन श्री अयप्पा की पूजा होती है उन्हें ‘हरिहरपुत्र’ कहा जाता है. यानी विष्णु और शिव के पुत्र. यहां दर्शन करने वाले भक्तों को दो महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन त्यागना होता है.
- मान्यता है कि अगर भक्त तुलसी या फिर रुद्राक्ष की माला पहनकर और व्रत रखकर यहां पहुंचकर दर्शन करे तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है.