संत स्वतंत्रता संग्राम के रहे गवाह: योगी आदित्यनाथ
गोरखपुर, 11 सितम्बर; उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि देश को स्वतंत्र कराने में संतों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का आरोप लगा. अंग्रेजो ने चौरी-चौरा काण्ड में महन्त दिग्विजयनाथ को आरोपी बनाया था. उन्होंने कहा कि संतों ने भी राष्ट्रधर्म को सबसे बड़ा धर्म माना है. संत स्वतंत्रता संग्राम के गवाह रहे हैं.
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योगी ने शनिवार को यहां गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 48वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवैद्यनाथ की तृतीय पुण्यतिथि समारोह में कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भी तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का आरोप लगा. यह घटनाएं इस बात की प्रमाण हैं कि गोरक्षपीठ ने उस सन्यासी परम्परा का अनुसरण किया जो मानती रही है कि राष्ट्रधर्म ही हमारा धर्म है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र की रक्षा भी सन्यासी का प्रथम कर्तव्य है.
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गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वरों द्वारा प्रारम्भ की गई यह परम्परा आगे भी निरन्तर चलती रहेगी. श्रीगोरक्षपीठ के एकमात्र शिल्पी महन्त दिग्विजयनाथ थे. नाथ सम्प्रदाय के बिखरे योगी समाज को एक किया. उन्हें धर्म, आध्यात्म के साथ-साथ राष्ट्रोन्मुख किया. हिन्दुत्व के मूल्यों और आदर्शो की स्थापना के लिए वे राजनीति में कूदे. योगी ने कहा कि राष्ट्रीयता का जो मंत्र उन्होंने दिया यदि उसे मान लिया गया होता तो आज पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववाद और कश्मीर में यह हालात नहीं होते. उन्होंने कहा कि वृहद हिन्दू समाज ही राष्ट्रीय एकता की गारन्टी है.